अमरावती

अप्रैल माह में मेलघाट के 234 बच्चे अति तीव्र कुपोषित

2,234 मध्यम कुपोषित तथा 4 हजार बच्चें कम वजन वाले

अमरावती/दि.16– जिले में महिला व बालविकास विभाग द्बारा कुपोषण मुक्ति के लिए विविध उपाय योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन इसके बावजूद मेलघाट के धारणी व चिखलदरा तहसील में 234 बच्चे सैम यानि अति तीव्र श्रेणी में कुपोषित पाए गए है. बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए तथा कुपोषण को नियंत्रित करने के लिए अंगणवाडियों के मार्फत विशेष प्रयास किए जा रहे है. जिसके तहत जिप सीईओ अविश्यांत पंडा के मार्गदर्शन में मेलघाट से कुपोषण को कम करने हेतु विशेष तौर पर पेसा निधि के जरिए कम वजन वाले 4 हजार बच्चों के लिए बाल विकास केंद्र शुरु किया जा रहा है. ताकि बच्चों को कुपोषित होने से बचाया जा सके.
अंगणवाडियों के मार्फत बच्चों को पोषण आहार दिया जाता है. साथ ही अंगणवाडी में प्रतिमाह इन बच्चों के वजन व उंचाई की जानकारी दर्ज करते हुए उनकी बुद्धि पर नजर रखी जाती है. इसके लिए अलग-अलग उपाय किए जाते है. साथ ही इससे संबंधित पूरी जानकारी पोषण ट्रैकर एप के जरिए प्रशासन व सरकार के मार्फत पहुंचाई जाती है. किंतु ऐसा रहने के बावजूद भी अप्रैल माह दौरान जिले में 234 बच्चे अति तीव्र कुपोषित पाए गए. वहीं 2,234 बच्चे मध्यम श्रेणी में कुपोषित तथा 4 हजार बच्चे कम वजन वाले पाए गए. अति तीव्र व मध्यम कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने तथा कुपोषण की समस्या को नियंत्रित करने के लिए शास्त्रीय पद्धति से तैयार किए गए विशेष एनर्जी डेंस न्यूट्रीशियन्स फूड आहार की आपूर्ति की जाती है. साथ ही शुन्य से तीन वर्ष आयु गुट वाले लाभार्थी बच्चों सहित गर्भवती व नवप्रसूता महिलाओं को पोषाहार की आपूर्ति घर पहुंच की जाती है. इसके साथ ही अंगणवाडी में 3 से 6 वर्ष आयु गुट वाले लाभार्थी बच्चों को स्थानीय बचत गट अथवा सहायक के मार्फत गर्म व ताजा आहार दिया जाता है. परंतु इतने उपायों के बावजूद भी कुपोषण की समस्या नियंत्रण में नहीं आ रही.

* कुपोषण यानि क्या?
पर्याप्त व योग्य आहार नहीं लेने की वजह से कमजोरी व बीमारी वाली स्थिति पैदा होती है, जिसे कुपोषण कहा जाता है. कुपोषण यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है. लेकिन अयोग्य आहार, भुखमरी तथा जीवनसत्वों के आभाव जैसी वजहों के चलते बच्चों के शरीर पर परिणाम होता है.

* अति तीव्र कुपोषित 234 बच्चों को जिले में कार्यरत 120 बालविकास केंद्रों में भर्ती कराया गया है. कुछ बच्चों को पीएचसी के बाल उपचार केंद्र में दाखिल करते हुए उनका औषधोपचार किया जा रहा है और उन्हें पुरक पोषण आहार भी दिया जा रहा है.
– डॉ. कैलास घोडके,
डेप्यूटी सीईओ, महिला व बाल कल्याण,
जिप अमरावती.

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