अमरावती/दि.21– हर वर्ष 22 अथवा 23 सितंबर को रात-दिन 12 घंटे का रहता है. इस विशेष तिथि को खगोल शास्त्र में विषुवदिन कहते हैं. इस दिन पृथ्वी के दोनों गोलार्ध शनिवार को सूर्य से समांतर रहते हैं.
दिन और रात की असमानता पृथ्वी के अक्ष की तरह होती है. पृथ्वी का अक्ष यह 23.5 अंश का रहता है. जो गोलार्ध सूर्य की तरफ आता है वह दिन 12 घंटे से बडा और रात 12 घंटे से छोटी रहती है. पृथ्वी की परांचल गति के कारण इस दिन को हर वर्ष थोडा बहुत अंतर पड सकता है. 21 मार्च, 22 अथवा 23 सितंबर के दिन पृथ्वी के दोनों गोलार्ध पृथ्वी से समांतर दूरी पर रहते है. यह दोनों दिन प्रकाश की किरणे उत्तर और दक्षिण घ्रुव से जाती है. इस कारण इस दिन रात और दिन समांतर रहते हैं. गगन में वैषुविक और आयनिक वृत्त के दो काल्पनिक छेदन बिंदु है. इसमें से एक बिंदु में से 21 मार्च को सूर्य प्रवेश करता है. उसे वसंत संपात बिंदु कहते हैं तथा इसके विपरित बिंदु में 22 अथवा 23 सितंबर को सूर्य प्रवेश करता है. इसे शरद संपात बिंदु कहते हैं. खगोल प्रेमियों ने और भूगोल का अभ्यास करने वाले विद्यार्थियों को 23 सितंबर को प्रत्यक्ष अनुभव लेने का आहवान मराठी विज्ञान परिषद के विभागीय अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाने और हौशी खगोल अभ्यासक विजय विरुलकर ने किया है.