अमरावती

नई रेत नीति को ब्रेक लगने से 40 दिनों में 24 करोड़ का फटका

600 रुपए ब्रास से रेती देने की घोषणा हवा में

अमरावती/दि.26- राज्य शासन ने इस बार से नई रेती नियोजन चलाने की घोषणा की. 1 मई से नीति लागू होकर सर्वसामान्यों को 600 रुपए ब्रास के अनुसार रेती उपलब्ध करवाई जाएगी, ऐसा भी बताया गया था. लेकिन अमरावती जिले में 1 मई तो दूर जून महीना खत्म हो गया. बावजूद यह नीति लागू नहीं हुई. दूसरी ओर 10 जून बाद रेती उपसा करने पर बंदी है. जिसके चलते 1 मई से 10 जून इन 40 दिनों में ही अमरावती वासियों को करीबन 7 से 8 हजार रुपए ब्रास की दर से महंगी रेती खरीदनी पड़ी और करीबन 24 करोड़ रुपए का फटका बैठा है. वहीं अनेक निर्माणकार्य को ब्रेक लगा है.
अमरावती शहर व जिले को वर्धा नदी की रेती बड़े पैमाने पर उपलब्ध होती है. शासन हर साल जनवरी महीने में रेती घाटों की नीलामी कर रेती उपलब्ध करवाता है. इस बार जनवरी में नीलामी प्रक्रिया शुरु हुई जिसे शासनकर्ताओं ने रोककर नई नीतिनुसार रेती देने की बात कही. मात्र निर्माणकार्य का सत्र खत्म हो गया, रेती उपसा की कालावधि खत्म हो गई. शासकीय नीलामी न होने से जिला प्रशासन का करीबन 13 से 14 करोड़ रुपए का महसूल बर्बाद हो गया. दूसरी ओर जिले में रेती होने के बावजूद नहीं मिलने से मध्यप्रदेश से रेती जिले में आयी. वह रेती प्रतिब्रास 7 से 8 हजार रुपए ब्रास के अनुसार मिली. शासन ने नई रेती नीति लागू की होती तो 600 रुपए ब्रास के अनुसार घाट पर रेती मिलकर शहर में सर्वसामान्यों के घर लाने तक ज्यादा से ज्यादा 2400 रुपए खर्च आया होता. फिर भी प्रति ब्रास चार हजार रुपए की बचत हुई होती. इस गंभीर मुद्दे पर किसी भी लोक प्रतिनिधि ने शासन से अब तक पूछताछ नहीं की, यह शोकांतिका है.
* रेती महंगी होने का असर
रेती महंगी होने के कारण आर्थिक दृष्टि से सामान्य व्यक्ति का घर बनाने का काम रुक गया. निर्माण व्यवसायियों के खर्च में वृद्धि हुई व कुछ निर्माणकार्यों को ब्रेक लग गया. जिले की रेती उपलब्ध न होने के कारण निर्माणकार्य का खर्च करीबन प्रति वर्ग फुट 100 से 125 रुपए कीमत बढ़ी है. सर्वसामान्यों को रेती के लिए दोगुना खर्च कर निर्माणकार्य पूर्ण करने पड़ रहे हैं.

10 सितंबर पश्चात शुरु होगी प्रक्रिया
नई रेती नीति यह सत्र में लागू नहीं हुई. 10 जून बादद उपसा करने पर बंदी है. अब आगे सत्र में यानि 10 सितंबर के बाद नई रेती नियोजननुसार प्रक्रिया चलाई जाएगी. जिसके चलते अमरावती वासियों को कुछ समय के लिए नदियों की रेती उपलब्ध नहीं.
– इम्रान शेख, खनिकर्म अधिकारी

निर्माणकार्य खर्च में काफी वृद्धि
शहर में हर रोज करीबन 1500 से 2 हजार ब्रास रेती की मांग है. नई रेती नीति लागू न होने के कारण हमें मध्यप्रदेश से रेती बुलानी पड़ी. वह प्रति ब्रास 6 से 7 हजार रुपए कीमत से बुलाई गई. वहीं क्रेेशसेंड का इस्तेमाल करना पड़ा. इसलिए निर्माणकार्य के लिए खर्च बढ़ने के साथ ही प्रति वर्ग फुट 125 रुपए के हिसाब से वृद्धि हुई है.
– सचिन वानखडे, उपाध्यक्ष क्रेडाई

ऐसा होता है अमरावतीवासियों का नुकसान
1 मई से 10 जून तक नई रेती के नियोजननुसार रेती मिली होती तो उस रेती का घर तक पहुचते तक कीमत अधिक से अधिक 3 हजार प्रति ब्रास होती. लेकिन अमरावती शहर में इस समय में आयी रेती की कीमत 7 हजार रुपए थी. क्योंकि वह रेती मध्यप्रदेश से आ रही थी. यातायात खर्च चौगुना लगता है. यानि एक ब्रास पर 4 हजार रुपए अतिरिक्त देने पड़े. एक दिन शहर में औसत 1500 ब्रास रेती की मांग है. जिसके चलते एक दिन 60 लाख रुपए के हिसाब से 40 दिनों में 24 करोड़ रुपए का फटका लगा है.

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