अमरावतीमुख्य समाचार

चारों नवजात शिशु की 24 घंटे देखरेख

मेलघाट की अनोखी डिलेवरी को मिसाल बनाने का प्रयास

* फुले जनस्वास्थ्य योजना में होगा संपूर्ण नि:शुल्क उपचार
* प्रसूति से 10 दिन पहले तक घमेले उठाती रही पपीता
धारणी/दि.13- यहां से 15 किमी के दुनी गांव की पपीता बलवंत उईके की चारों नवजात बेटियों की बालरोग तज्ञ डॉ. दयाराम जावरकर और उनकी पूरी टीम चौबीसों घंटे देखभाल कर रहे हैं. उपजिला अस्पताल में हुई एक साथ चार कन्यारत्न के जन्म को प्रदेश में अपनी तरह की पहली घटना बताते हुए डॉ. जावरकर ने बताया कि, शिशुओं के पूरी तरह ठीक होने और उनके अपेक्षित वजन बढने के पश्चात ही नवप्रसूता पपीता को अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि चारों बच्चियां ठीक है. उनकी बराबर देखभाल की जा रही है. आईसीयू में भर्ती है. वहां सभी जरुरी उपकरण भी तैार कर लिए गए हैं. डॉ. मानोरकर, डॉ. अश्विन पवार, डॉ. शैलेश जीराफे, आरती सिस्टर, नंदिनी सिस्टर, पुष्पा सिस्टर, प्राजक्ता शिवरे आदि चारों नवजात कन्या का पूरा ध्यान रख रही है. मेलघाट अब तक बालमृत्यु के लिए कुख्यात रहा है.
* आशावर्कर और एएनएम ने किया भर्ती
उल्लेखनीय है कि दुनी निवासी पपीता उईके ने बुधवार सुबह 10.30 बजे एक के बाद एक चार बेटियों को एक साथ जन्म दिया. बताते हैं कि दुनी की आशावर्कर वनमाला विनोद गिरी और एएनएम सुरेखा अडागडे ने प्रसव पीडा तेज होते ही पपीता को उपजिला अस्पताल धारणी में सवेरे 9 बजे के लगभग भर्ती किया था.
* तेजस्विनी गोरे ने करवाई डिलेवरी
अस्पताल के चिकित्सक किसी कार्यवश उपस्थित नहीं होने से अधीक्षक परिचारिका तेजस्विनी गोरे का अनुभव बडा काम आया. गोरे ने पूरी सावधानी से पपीता का प्रसव करवाया. 10.30 बजे के बाद पहली 1 किलो 300 ग्राम की कन्या हुई. इसके 10 मिनट बाद दूसरी, उसके उपरांत तीसरी और फिर चौथी कन्या का प्रसव हुआ. तीनों का वजन लगभग सवा किलो रहा. अब कुछ दिनों में वजन बढ जाने का भरोसा धारणी उपजिला अस्पताल के डॉक्टर्स और नर्सेस व्यक्त कर रहे हैं. उन्हेांने आज दोपहर अमरावती मंडल को बताया कि, जच्चा बच्चा स्वस्थ्य है. हर समय निगरानी की जा रही है. प्रसूता पपीता उईके की भी हालत ठीक है. वह अस्पताल में थोडा बहुत चलफिर रही है.
* महात्मा फूले योजना का लाभ
पेशे से बलवंत उईके राजकाम मिस्त्री हैं. उनके घर एकसाथ चार कन्यारत्न आ गई. पपीता उईके को महात्मा फूले जनस्वास्थ्य योजना का लाभ दिया जा रहा है. उनका और नवजात का संपूर्ण उपचार नि:शुल्क होगा. उसी प्रकार डॉ. जावरकर ने बताया कि, जब तक बच्चों का वजन बढ नहीं जाता, सामान्य के लगभग नहीं हो जाता, पपीता और वे बच्चे अस्पताल में रहेंगे.
* 25 जून तक उठाती रहे घमेले
पपीता उईके अपने पति बलवंत के साथ भवन निर्माण साइट पर हेल्पर के रुप में जाती रही. इस दौरान उसने वरुड क्षेत्र में कार्य किया. वहां 29 अप्रैल को सोनोग्राफी में उसके पेट में जुडवां बच्चे होने का पता चला था. डॉक्टर्स ने उसे सलाह दी थी. वहां का काम करने के बाद वह 26 जून को धारणी लौट आई. यहां 28 जून को उपजिला अस्पताल में एक बार फिर सोनोग्राफी की गई. यहां भी चिकित्सकों ने गर्भ में जुडवां होने की बात कही थी. दो दिन पहले तक वह अपने पति के साथ घमेले उठाती रही. डॉक्टर्स ने बताया कि पपीता की डिलेवरी नियत डेट से एक सप्ताह पहले हुई.
* दोनों के हो चुके हैं तलाक
पारिवारिक पृष्ठभूमि देखे तो बलवंत उईके का पहली पत्नी से तलाक हुआ है. ऐसे ही पपीता का भी पहले पति से संबंधविच्छेद होने के बाद उसने बलवंत से दूसरा ब्याह रचाया था. बलवंत को पहली पत्नी से दो बेटियां है. वह भी जुडवा हुई थी. एक बेटी सरावी अभी उसके पास ही रहती है जबकि एक बेटी पहली पत्नी के पास. पपीता के पहले संबंध में उसे दो बेटे हुए थे. एक बेटा चार माह का होने के बाद शांत हो गया. अभी बलवंत उईके के परिवार में माता-पिता तथा दोनों बडी छोटी बहन है. पपीता का पीहर भैसदेही तहसील के खोरदा का है.

* गुणसूत्र डबल होने से होती ऐसी प्रसूति
डॉ. दयाराम जावरकर ने बताया कि, पपीता की एक साथ चार बेटियों को जन्म देने की घटना पूरे महाराष्ट्र में अनोखी है. इससे पहले तीन बच्चों की प्रसूति की घटनाएं हो चुकी है. उन्होंने यह भी बताया कि, गुणसूत्र दोगुना हो जाने से जुडवां, चार बच्चे का जन्म संभव होता है. डॉ. जावरकर ने कहा कि, मेलघाट के इस अनूठे जच्चा बच्चा की सभी प्रकार की देखरेख वे और उनके साथी कर रहे हैं. कुपोषण के लिए और माता तथा बालमृत्यु के कारण कुख्यात रहे आदिवासी बहुल मेलघाट में डॉक्टर्स और नर्सेस की टीम इस डिलेवरी को आदर्श बनाने की कोशिश में है.

 

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