गत वर्ष डफरीन अस्पताल में हुए 241 गर्भपात
गर्भवती महिला या गर्भस्त शिशु के लिए खतरा रहने पर मिलती है कानूनी गर्भपात की अनुमती
* कई महिलाएं नौकरी व करियर को प्राधान्य देते हुए लेती है गर्भपात करने का निर्णय
अमरावती /दि.23– स्पर्धा वाले इस दौर में महिलाएं भी अपने करियर के अवसर खोजती दिखाई देती है. जिसके चलते नौकरी व करियर के लिए हाथ-पांव मारने वाले विवाहित दम्पतियों में फिलहाल बच्चा नहीं चाहिए वाली मानसिकता दिखाई देती है. ऐसी स्थिति में यदि गर्भधारणा हो जाती है, तो कई महिलाएं समयपूर्व कानूनी गर्भपात कराने को प्राथमिकता देती है. इसके साथ ही अत्याचार पीडित महिलाओं के गर्भवती होने पर तथा सामान्य मामलों में गर्भस्थ शिशु अथवा गर्भवती महिला की जान के लिए खतरा रहने पर कानूनी गर्भपात का अधिकार दिया जाता है. इसके तहत विगत एक वर्ष के दौरान जिला स्त्री अस्पताल में 241 महिलाओं ने कानूनी रुप से अपना समयपूर्व गर्भपात करवाया.
* किन वजहों के चलते मिलती है गर्भपात की अनुमति?
कुछ विशिष्ट शारीरिक व मानसिक परिस्थितियों में ही गर्भवती महिलाओं को गर्भपात कराने की कानूनी अनुमति प्रदान की जाती है. इसके लिए 12 सप्ताह की गर्भधारणा को लेकर डॉक्टर का प्रमाणपत्र होना आवश्यक होता है. साथ ही अधिकतम 24 सप्ताह तक गर्भपात हेतु कानूनी अनुमति जरुरी होती है.
* जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए दी जाती है अनुमति
यदि पैदा होने वाले गर्भस्थ शिशु में किसी तरह का शारीरिक व मानसिक दोष है अथवा अन्य कोई तकनीकी दिक्कत है, तो ऐसी स्थिति में कानूनी गर्भपात के लिए सरकार व प्रशासन की ओर से अनुमति दी जाती है.
* करियर व नौकरी से ज्यादा भविष्य महत्वपूर्ण
स्पर्धा वाले इस दौर में यद्यपि करियर व नौकरी का अपना महत्व है. लेकिन साथ ही साथ परिवार के बारे में नियोजन किये जाने की भी सख्त जरुरत होती है. क्योंकि इस पर भी आगे का भविष्य निर्भर करता है. अत: इसकी ओर अनदेखी करना पूरी तरह से गलत है.
* 24 सप्ताह तक किया जा सकता है गर्भपात
यूं तो 10 सप्ताह से कम वाले गर्भस्थ शिशु को गर्भपात करते हुए निकाला जा सकता है. परंतु इससे अधिक समय हो जाने पर गर्भपात के लिए कानूनी अनुमति लेनी होती है और अधिकतम 24 सप्ताह तक के गर्भाधान काल के भीतर गर्भपात कराया जा सकता है.
* वैद्यकीय सलाह महत्वपूर्ण
– यदि विवाह में विलंब हुआ है, तो ऐसे मामलों में दम्पति ने फैमिली प्लानिंग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
– यदि माता-पिता की आयु अधिक होती है, तो बच्चे का विकास प्रभावित होता है. साथ ही शारीरिक व मानसिक व्यंग वाला व कुपोषित बच्चा पैदा होने की संभावना अधिक होती है. ऐसे समय गर्भपात के लिए कानूनी सलाह लेना भी जरुरी होता है.
* सरकारी अस्पताल में कई गर्भवती महिलाएं कानूनी रुप से वैद्य गर्भपात कराने हेतु आती है. यदि गर्भवती महिला अथवा गर्भस्थ शिशु की जान को किसी तरह का कोई खतरा है, या फिर गर्भवती महिला को किसी तरह की कोई शारीरिक व मानसिक बीमारी है अथवा गर्भस्थ शिशु में को पैदाइश के बाद कोई शारीरिक या मानसिक बीमारी होने का खतरा है, तो ऐसी स्थिति में ही कानूनी गर्भपात के लिए अनुमति दी जाती है.
– डॉ. विनोद पवार,
वैद्यकीय अधीक्षक,
जिला स्त्री अस्पताल.