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जिले में 244 ज्ञानमंदिर अब ‘समाज’ के भरोसे

कई शालााओं की इमारतें हो गई जर्जर

* समाज मंदिर में चलानी पड रही कक्षाएं
* अधिकांश खस्ताहाल शालाएं मेलघाट में
* शिक्षा दान के साथ चल रहा खेल
अमरावती/दि.5- यद्यपि सरकार व्दारा शिक्षा हर एक व्यक्ति के अनिवार्य अधिकार में शामिल किया गया है. लेकिन शिक्षा दान हेतु आवश्यक रहनेवाली मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की ओर कोई ध्यान भी नहीं दिया जा रहा. कई शालाओं की इमारतें इस कदर जर्जर व खस्ताहाल हो गई हैं, कि वहां पर बैठकर विद्यार्थी पढाई नहीं कर सकते हैं. साथ ही अभिभावक भी ऐसी शालाओं की खतरनाक हो चुकी कक्षाओं में बच्चों को भेजने के लिए तैयार नहीं है. जिसके चलते जिले की 14 पंचायत समितियों में 244 शालाओं की 463 कक्षाएं अब समाज मंदिर में लगानी पड रही है. परंतु समाज मंदिर में कई लोगों का आना-जाना चलता रहता है. जिसकी वजह से शिक्षक पूरी एकाग्रता के साथ पढा नहीं पाते. साथ ही विद्यार्थी भी एकाग्रचित्त होकर पढ नहीं पाते. ऐसे में कहा जा सकता है कि समाज मंदिरों में केवल नाम के लिए शालाएं चल रही है और शिक्षा के साथ एक तरह का खिलवाड किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि बच्चे सुरक्षित व अल्हाददाय वातावरण में अपनी पढाई-लिखाई कर सकें, इस हेतु सरकार व्दारा बडे गाजे बाजे के साथ कई तरह की योजनाएं चलाई जाती है. जिसके लिए सरकार व्दारा समय-समय पर शाला दुरुस्ती हेतु निधि भी दी जाती है. परंतु गंभीरता का अभाव, टालमटोल वाली नीति और काम की धीमी गति इसी वजहों के चलते शालाओं की इमारतों में समय पर दुरुस्ती नहीं हो पाती और धीरे-धीरे शालाओं की इमारते खस्ता हालत में पहुंच जाती है. यही वजह है कि सरकारी शालाएं खस्ता हाल होने के साथ ही खतरनाक स्थिति में पहुंच जाती है, तो विशेषकर बारिश के मौसम दौरान ऐसी शालाओं के विद्यार्थियों की कक्षाएं समाज मंदिर में लगाकर पढाई-लिखाई का काम चलाना पड रहा है. लेकिन समाज मंदिर में शालाओं की तरह पढाई-लिखाई करवाना संभव नहीं हो पाता, क्योंकि वहां पर अन्य कई लोगों की आवाजाही चलती रहती है. जिसकी वजह से पढाई-लिखाई में काफी व्यवधान पैदा होता है तथा बच्चों की पढाई-लिखाई प्रभावित भी होती है.
ज्ञात रहे कि जिले के सभी ग्रामीण इलाकों में जिला परिषद व्दारा सरकारी शालाओं का संचालन किया जाता है. जहां पर किसानों, खेतीहर मजदूरों तथा गरिबों, सर्वसामान्य लोगों के बच्चे पढते हैं. इन सभी बच्चों को शिक्षा के प्रवाह में लाने हेतु नि:शुल्क कॉपी-कीताब, शालेय गणवेश व पोषण आहार आदि सुविधाएं प्रदान की जाती है. परंतु यहां बैठकर ये बच्चे पढाई करते है उन शालाओं व कक्षाओं की जर्जर स्थिति को सुधारने के लिए ध्यान ही नहीं दिया जाता. ऐसे में यदि शाला की इमारत ही सुरक्षित नहीं है, तो बच्चे शाला में कैसे आएंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक गुणवत्ता का स्तर कैसे उंचा उठेगा. यह अपने आप में एक बडा सवाल है.
वहीं दूसरी ओर इन दिनों शालाओं की स्थिति जर्जर रहने के चलते समाज मंदिरों में पर्यायी कक्षाएं लगाई जा रही है. परंतु समाज मंदिर में अक्सर ही कोई न कोई कार्यक्रम आयोजित रहता है और ऐसे कार्यक्रम के आयोजित रहने के चलते वहां पर कक्षा नहीं लगाई जा सकती. इसकी वजह से विद्यार्थियों को उस दिन छुट्टी दे दी जाती है. इसके अलावा कभी शिक्षक नहीं आते है, तो कभी गांव में कोई कार्यक्रम रहने के चलते विद्यार्थी ही शाला की ओर नहीं आते. इसके अलावा सभी समाज मंदिर में बिजली की आपूर्ति ठप रहती है, तो कभी पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पाती. साथ ही साथ वहां पर छात्र-छात्राओं के लिए स्वतंत्र स्वच्छतागृह की व्यवस्था को लेकर दिक्कत रहती है. जिसकी वजह से समाज मंदिर में कक्षाओं को चलाने में काफी समस्याओं का सामना करना पडता है.

* निधी के अभाव में लटका दुरुस्ती का काम
विगत 1 वर्ष से निधि के अभाव में शालेय इमारतों की दुरुस्ती का काम लटक गया है. इस काम के लिए सरकार की ओर से अब तक निधि नहीं आई है. जिसके चलते सावधानी के तौर पर जर्जर हो चुकी कक्षाओं को समाज मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया है. परंतु शाला में रहनेवाले शैक्षणिक वातावरण तथा अन्य स्थानों के वातावरण मेंं काफी फर्क होता है. जिसकी वजह से समाज मंदिरों में न तो विद्यार्थी पढ पा रहे है और न ही शिक्षक पढा पा रहे हैं.

* कुछ स्थानों पर दुरुस्ती का काम जारी
जिले में कुछ सरकारी शालाओं की इमारतें शिखस्त हो रही है. जिसमें से अधिकांश शालाएं चिखलदरा व धारणी क्षेत्र में है. जिनकी दुरुस्ती के लिए सरकार से निधी मांगी गई है. कुछ स्थानों पर काम शुरु हो गया है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा.
– बुधभूषण सोनोने,
शिक्षाधिकारी

* डेहनी में शाला की संरक्षित दीवार गिरी
जिला परिषद शालाओं की कुछ इमारते काफी पुरानी व जर्जर हो चुकी हैं. जिनके कभी भी ढह जाने का खतरा है. तिवसा तहसील के डेहनी में एक जिप शाला की संरक्षक दीवार विगत 28 जुलाई को तेज बारिश होने के चलते अचानक ढह गई. जिसकी वजह से कुछ कक्षाएं खुली हो गई है. ऐसे स्थानों पर विद्यार्थी किस तरह पढाई करेंगे यह अपने आप में बडा सवाल है.

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