विदर्भ के २४७ भावी फौजदारों को मैदानी परीक्षा की प्रतिक्षा
कोरोना के चलते सात माह से रूकी है प्रक्रिया
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एमपीएससी को नहीं मिल रहा मुहूर्त, चार वर्ष से चल रही सुस्त गति
अमरावती प्रतिनिधि/दि.३१ – राज्य लोकसेवा आयोग यानी एमपीएससी द्वारा पुलिस उपनिरीक्षक पद के लिए ली गयी परीक्षा उत्तीण करने के बावजूद विदर्भ क्षेत्र के २४७ भावी ‘फौजदार‘ विगत सात माह से मैदानी क्षमता जांच परीक्षा की प्रतिक्षा कर रहे है, जो कोरोना संक्रमण की वजह से अटकी पडी है. वहीं दूसरी ओर एमपीएससी द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा, ऐसा आरोप संबंधित अभ्यर्थियों की ओर से लगाया जा रहा है. बता दें कि, एमपीएससी द्वारा पुलिस उपनिरीक्षकों के ३२२ पदों हेतु विभाग अंतर्गत परीक्षा ली गयी थी. जिसके तहत १० सितंबर २०१७ को पूर्व परीक्षा तथा २४ दिसंबर २०१७ को मुख्य परीक्षा ली गयी थी. लेकिन इसके बाद पात्र उम्मीदवारों की मैदानी यानी शारीरिक क्षमता जांच परीक्षा लेने का काम अटका पडा था. जिसके लिए एमपीएससी को करीब तीन वर्ष बाद मुहूर्त मिला और वर्ष २०२० के फरवरी व मार्च माह में मैदानी परीक्षा की शुरूआत की गई. जिसके तहत उन्हें औरंगाबाद, नासिक व मुंबई इन विभागों के केंद्रों पर ११५० पात्र उम्मीदवारों की फौजदार पद के लिए मैदानी परीक्षा ली गयी. ठीक इसी दौरान कोरोना का संक्रमण बढने लगा और केंद्र सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर दिया. जिसके चलते १९ मार्च को मैदानी परीक्षा को रोक दिया गया और नागपुर व अमरावती विभाग के कुल २४७ उम्मीदवारों की मैदानी परीक्षा प्रलंबित रह गयी. इस बात को आज सात माह हो गये है, लेकिन बावजूद इसके राज्य लोकसेवा आयोग को यह परीक्षा लेने का कोई दूसरा मुहूर्त अब तक नहीं मिला है. ऐसे में आयोग की उदासिनता के चलते पात्र उम्मीदवारों में तीव्र नाराजगी देखी जा रही है. क्योंकि विभाग अंतर्गत परीक्षा देकर पीएसआई बनने के लिए संबंधित पुलिस कर्मचारियों ने विगत तीन वर्षों से जबर्दस्त पसीना बहाया है. किन्तु उनकी स्वप्नपूर्ति की राह में कभी कोरोना और कभी आयोग की उदासिनता बाधा बन रही है. साथ ही जहां एक ओर सीधी भरती के जरिये पीएसआई की परीक्षा उत्तीर्ण होनेवाले अभ्यर्थियों के लिए एमपीएससी द्वारा पलक-पांवडे बिछाये जा रहे है. वहीं दूसरी ओर पुलिस कर्मचारी से पुलिस अधिकारी बनने का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अलग मापदंड अपनाये जा रहे है.