25 माताओं ने किडनी देकर बचाई अपने बेटों की जान
8 मामलोें में पिता ने, तीन मामलों में पत्नी ने पति को और ससुर ने दामाद का, दादी ने नाती को, पति ने पत्नी को किडनी दी
अमरावती/दि.27-बेटा चाहे छोटा हो या बडा उसे खरोच भी आई तो दर्द मां को होता है. इस तरह बेटे और मां का रिश्ता एक दूसरे की ममता से जुडा रहता है और जब किसी बेटे की दोनों किडनी खराब हो जाए और उस पर बार- बार की जानेवाली डायलिसिस की प्रक्रिया भी उसकी जान बचाने कार्यक्षम साबित नही हो रही. इस स्थिति में 25 माताएं ऐसी सामने आई. जिन्होंने अपनी एक किडनी बेटे को देकर उसकी जान बचाई.
माता की किडनी बेटे को देकर जान बचाने की 25 किडनी प्रत्यारोपण शस्त्र क्रिया यहां के सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में पिछले दो वर्षो में हुई. इसके अलावा 8 मामलोें में पिता ने अपने बेटे को किडनी देकर उसकी जान बचाई. तीन मामलों में पति की जान बचाने पत्नी सामने आई. यहां तक कि बेटी का सुहाग कायम रहें. इस उद्देश्य से एक मामले में ससुर ने अपने दामाद को किडनी देकर उसकी जान बचाई. स्थानीय संदर्भ सेवा अस्पताल यानी सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण की शल्यक्रिया वर्ष 2018 से शुरू हुई. किंतु 2019 में कोराना बीमारी के चलते सुपर स्पेशालिटी हास्पिटल यह कोरोना हॉस्पिटल में तब्दील हो गया था.
जिसमें लगभग डेढ वर्षो तक सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में किसी प्रकार की कोई शल्य क्रिया नहीं हुई थी. इस दौरान मात्र किडनी के मरीजों पर डायलिसिस शुरू थी.
उसके बाद वर्ष 2022 में फिर सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में किडनी शल्यक्रिया ने रफ्तार पकडी और अब तक यहां 40 किडनी प्रत्यारोपन शल्यक्रिया सफल हुई.
इस किडनी प्रत्यारोपण के माध्यम से 25 माताओं ने अपने बेटे, 8 पिता ने अपने बेटे-बेटी, तीन मामलों में पत्नी ने पति को और एक घटना में ससुर ने दामाद को, दादी ने नाती को, छोटे भाई ने बडे भाई को और एक मामले में पति ने पत्नी को किडनी देकर जान बचाई. हाल ही में यवतमाल के महागांव कसबा में रहनेवाली सरला उदय तुंडलवार नामक महिला को उसके पति उदय तुुंडलवार ने अपनी एक किडनी देकर जान बचाई. यह 40 वीं शल्यक्रिया 14 जून को सुपर स्पेशालिटी में हुई.