अमरावती

मेलघाट में 6 माह दौरान 0 से 5 आयु गुट वाले 250 बच्चों की मौत

59 बच्चे पैदा हुए मृत, तमाम मौतों के लिए जिम्मेदार कौन ?

* मेलघाट में कुपोषण रोकने वाले विशेष मॉडल का क्या हुआ?
अमरावती/दि.31 – जिले में बाल मौतों का प्रमाण रोकने के लिए सरकारी स्तर पर कई उपाय योजनाएं चलाई जाती है. लेकिन अब भी जिले में बाल मौतों के सिलसिले को रोकने में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से असफल साबित होता दिखाई दे रहा है. विगत जनवरी से जून माह तक 6 माह की कालावधि दौरान जिले में 0 से 1 वर्ष आयु गुट वाले 203 बच्चों की मौत होने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास दर्ज है. इसके साथ ही 1 से 5 वर्ष आयु गुट में 20 बच्चों की मौते हुई. वहीं 59 बच्चे मृत पैदा हुए. इस तरह से विगत 6 माह के दौरान कुल 309 बच्चों की मौते दर्ज की गई है. ऐसे में सवाल उठाया जा सकता है कि, आखिर इन नवजात बच्चों की मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है तथा मेलघाट में कुपोषण को रोकने हेतु चलाए जाने वाले विशेष मॉडल का क्या हुआ.
बता दें कि, राज्य में कुपोषण व बाल मौतों का प्रमाण रोकने व नियंत्रित करने हेतु राज्य सरकार द्बारा विविध योजनाएं चलाई जाती है. साथ ही विविध सामाजिक संस्थाओं को भी कुपोषण व बाल मौतें रोकने के लिए करोडों रुपयों की निधी उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन इसके बावजूद भी सरकार व प्रशासन मेलघाट क्षेत्र में बाल मौतों को रोकने के मोर्चे पर असफल क्यों साबित हो रहे है, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
उल्लेखनीय है कि, स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने गत वर्ष मेलघाटन क्षेत्र का दौरा किया था. इस समय उन्होंने मेलघाट में कुपोषण की स्थिति को नियंत्रित करने हेतु 15 दिन के भीतर विशेष मॉडल को लागू करने की बात कही थी. परंतु 10 माह बीत जाने के बावजूद भी स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत का विशेष मॉडल किसी को भी समझमें नहीं आया है. जबकि इसी दौरान विगत 6 माह में 309 बच्चों की मौत हो गई है. जिनमेें 164 लडकों व 145 लडकियों का समावेश है. इन मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है और क्या सरकार इन मौतों को अपनी जवाबदेही के साथ गंभीरतापूर्वक लेगी, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.

* मेलघाट से रेफर का प्रमाण सर्वाधिक
मेलघाट के दुर्गम क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की अपर्याप्त सुविधा रहने के चलते कई गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों को इलाज के लिए जिला स्त्री अस्पताल में रेफर किया जाता है. मेलघाट से पहाडी रास्तों के जरिए 150 किमी दूर अमरावती तक पहुंचने से पहले ही कई महिलाओं व माताओं की इससे पहले मौत हो जाने के मामले सामने आ चुके है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त दुुरुस्त किया जाए.

* तहसील निहाय मौतें
तहसील 0 से 1 वर्ष 1 से 5 वर्ष अर्भक मृत्यु
अमरावती 115 01 22
धारणी 40 12 19
चिखलदरा 48 03 08
अंजनगांव सुर्जी 01 00 00
अचलपुर 08 01 02
चांदूर बाजार 04 00 02
मोर्शी 04 00 00
वरुड 04 03 02
तिवसा 02 00 01
भातकुली 01 00 02
दर्यापुर 01 00 00
नांदगांव खंडे. 01 00 00
चांदूर रेल्वे 00 00 01
धामणगांव रेल्वे 01 00 00

* क्या कहते हैं 6 माह के आंकडे
जन्म पंजीयन – 21,215
0 से 1 वर्ष आयु गुट में मौत – 230
1 से 5 वर्ष आयु गुट में मौत – 20
अर्भक मृत्यु – 59

* कुपोषण को रोकने ये उपाय योजनाएं चल रही
बीमार व नवजात बच्चों के इलाज हेतु विशेष कक्ष, नवजात शिशु स्थिरिकरण कक्ष, बाल उपचार केंद्र (सीटीसी), पोषण पुनर्वसन केंद्र (एनआसी), ग्राम बालविकास केंद्र (वीसीडीसी), राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा गर्भवती व नवप्रसूताम महिलाओं के लिए जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री माृतवंदन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, नवसंजीवनी मातृत्व अनुदान योजना, दायी बैठक योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम एवं मानव विकास कार्यक्रम जैसी योजनाएं चलाई जाती है. साथ ही इन सभी योजनाओं में काम सही तरीके से हो रहा है अथवा नहीं, इस पर ध्यान देने हेतु उडन दस्ते भी गठित किए गए है, लेकिन इन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद भी आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र से कुपोषण बाल मृत्यु या माता मृत्यु का प्रमाण घटने अथवा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा.

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