अमरावती

9 माह में 2547 महिलाओं ने करवाया वैध गर्भपात

गर्भवती की जान के लिए खतरा रहने पर गर्भपात को कानूनी अनुमति

अमरावती/ दि.21 – जिले के सरकारी अस्पतालों में वैध व कानूनी तरीके से गर्भपात कराए जाने की सुविधा उपलब्ध है. जिले में 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2022 के बीच 9 माह दौरान 2 हजार 547 महिलाओं ने वैध तरीके से अपना गर्भपात करवाया, ऐसी जानकारी अस्पताल प्रशासन व्दारा दी गई.
जिन महिलाओं को गर्भधारणा के बाद बच्चा नहीं चाहिए, ऐसे में उन्हें अपना गर्भपात कराने की कानूनी अनुमति सरकार व्दारा दी गई है, लेकिन इसके लिए कुछ नियम व शर्ते भी तय किये गए है. जिसके तहत यदि कोई महिला लैंगिक शोषण की वजह से गर्भवती होती है, तो ऐसी स्थिति में पीडिता को कानूनन गर्भपात करवाने का अधिकार दिया जाता है. इसके साथ ही सरकार व्दारा महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर भी विचार किया जाता है. यदि गर्भावस्था की वजह से संंबंधित महिला के लिए शारीरिक अथवा मानसिक खतरा पैदा होता है या यह बात पहले ही ध्यान में आ जाती है कि, जन्म लेने वाला बच्चा किसी तरह की गंभीर शारीरिक या मानसिक बीमारी शिकार रहेगा, तो संबंधित महिला को 24 सप्ताह से पहले कानूनी गर्भपात करवानो को अनुमति दी जाती है. इन सभी नियमों व शर्तों का पालन करते हुए विगत 9 माह के दौरान जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में 2 हजार 547 गर्भपात कराये गए.
कानूनी गर्भपात के नियम
कोई भी गर्भवती महिला अपने से संबंधित किसी भीकारण के चलते 10 सप्ताह से कम अवधि वाले गर्भ को गिराने के संदर्भ में खुद निर्णय ले सकती है.
वहीं 10 सप्ताह से अधिक की अवधि हो जाने पर गर्भपात कराने के लिए कानूनी अनुमति लेना अनिवार्य होता है.
इन वजहों को लेकर दी जाती अनुमति
यदि गर्भस्थ शिशू में किसी तरह का कोई शारीरिक या मानसिक व्यंग है, अथवा गर्भावस्था व प्रसूति की वजह से गर्भवती महिला के जीवन के लिए कोई खतरा पैदा हो सकता है, या फिर उसके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी तरह का कोई खतरा होता है, तो ऐसी स्थिति में संबंधित महिला का गर्भपात कराने की अनुमति दी जाती है.
24 सप्ताह तक किया जा सकता है गर्भपात
10 सप्ताह से पहले सामान्य स्थिति में गर्भपात किया जा सकता है, वहीं कुछ क्रिटीकल मामलों में 24 सप्ताह से पहले गर्भपात हेतु कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए अनुमति प्राप्त करनी पडती है.
हिमोग्लोबीन की वजह से बढी मासिक धर्म की तकलिफे
महिलाओं में हिमोग्लोबीन का प्रमाण कम होने के चलते मासिक धर्म यानी पिरिएड की तकलिफे होती है, इसके अलावा कमजोरी, कमरदर्द व थकान जैसे समस्याओं का भी सामना करना पडता है.
वैद्यकिय सलाह जरुरी
यदि विवाह में देरी हुई है यानी अधिक आयु में विवाह हुआ है, तो परिवार का नियोजन करने से पहले संबंधित दम्पति व्दारा डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है.
बता दे कि, अधिक आयु हो जाने पर कुपोषित अथवा शारीरिक या मानसिक व्यंग रहने वाले बच्चे पैदा होने का काफी हद तक खतरा रहता है.
करियर व नौकरी के साथ परिवार भी जरुरी
मौजूदा स्पर्धात्मक युग में जीवन जीते समय करियर व नौकरी काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही फैमिली प्लॉनिंग करना भी उतना ही जरुरी है. क्योंकि इसपर संबंधित दम्पति का भविष्य निर्भर करता है. ऐसे में करियर व नौकरी के चक्कर में पारिवारिक जीवन की ओर अनदेखी करना गलत साबित हो सकता है.
गर्भवती महिला के जीवन अथवा उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य के लिए कोई गंभीर खतरा रहने या फिर गर्भस्त शिशू में किसी तरह का शारीरिक या मानसिक व्यंग रहने की स्थिति में ही गर्भपात करने के लिए कानूनी रुप से अनुमति प्रदान की जाती है.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक

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