अमरावतीमहाराष्ट्र

जिले में साढे 4 वर्ष दौरान मिले 2559 कुष्ठरोगी

सन 2027 तक शुन्य कुष्ठरुग्ण का तय किया गया है लक्ष्य

अमरावती /दि.30– राज्य सरकार ने वर्ष 2027 तक कुष्ठरोगियों की संख्या को शुन्य करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए नीति तय की है. जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से तमाम आवश्यक प्रयास भी किये जा रहे है. वहीं अमरावती जिले में मार्च 2020 से अक्तूबर 2024 तक साढे 4 वर्ष की कालावधि दौरान 2559 कुष्ठरोगी पाये जाने की जानकारी कुष्ठरोग विभाग द्वारा दर्ज की गई है.
बता दें कि, पुरातन काल से मानव जाति के लिए ज्ञात रहने वाली और अब भी अस्तित्व में रहने वाली बीमारियों में से कुष्ठरोग भी एक बीमारी है. यद्यपि यह बीमारी माइक्रो बैक्टेरियम लेब्री नामक जंतू की वजह से होती है. परंतु समाज में अब भी बिना इलाज के घुमने वाले कुष्ठरोग ही इस बीमारी का प्रसार करने के मुख्य स्त्रोत होते है. साथ ही अब भी कई कुष्ठरोगी चिकित्सा व औषधोपचार से वंचित रहते हुए समाज में घुम रहे है. क्योंकि अधिकांश मरीजों को इस बीमारी की वह से कोई वेदना या तकलीफ ही नहीं होती और ज्यादातर मरीजों के पास इस बीमारी को लेकर कोई जानकारी भी नहीं होती. जिसके चलते वे खुद होकर अपने इलाज हेतु अस्पताल में नहीं पहुंचते. वहीं आगे चलकर इस बीमारी की वजह से स्थिति के गंभीर हो जाने, सांसर्गिक अवस्था शुरु हो जाने और शरीर में कोई विकृति आने पर ही मरीजों द्वारा अस्पतालों का रास्ता पकडा जाता है. साथ ही साथ इस बीमारी को लेकर समाज में अब भी कई तरह की भ्रांतियां है. ऐसे में जिलाधीश सौरभ कटियार, जिप सीईओ संजीता मोहपात्रा, कुष्ठरोग व क्षयरोग सहसंचालक डॉ. संदीप सांगले, सीएस डॉ. दिलीप सौंदले, डीएचओ डॉ. सुरेश आसोले, डॉ. पुनम मोहोकार व वैद्यकीय अधिकारी डॉ. विनंती नवरे ने कुष्ठरोग को लेकर तमाम भ्रांतियों को नष्ट करने का आवाहन किया है.

* यह हैं कुष्ठरोग के लक्षण
त्वचा पर हलके गुलाबी व लाल रंग का बधीर चट्टा रहना, कान की चमडी का मोटी होना और उस पर गांठ बनना, हाथ व पैर की उंगलियों का टेढा होना, हाथ या पांव के पंजों का बधीर होना, आंखों की पलके पूरी तरह से बंद नहीं होना, हाथ व पांव में ठंडे या गरम का एहसास नहीं होना तथा हाथ से चीजें छूटकर नीचे गिर जाना. आदि को कुष्ठरोग के लक्षण माना जा सकता है.

* कुष्ठरोग की वजह से होने वाली विकृति
– अदृश्य विकृति ग्रेड-1 – इसमें हाथ या पांव के पंजों में बधिरता आ जाती है तथा कोई संवेदना नहीं रहने के चलते गर्म वस्तुओं को पकड लेने या किसी चीज के चुभने का एहसास भी नहीं होता. जिससे हाथ या पांव के पंजों पर जख्म भी हो सकती है, जो सालोंसाल तक ठीक नहीं होती.
– दृश्य विकृति ग्रेड-2 – इस तरह की विकृति खुली आंखों से दिखाई देती है. जैसे कि, हाथ व पांव की उंगलियों का टेढा होना, कलाई व पैरों का ढिला पडना, हाथ व पांव के पंजों पर जख्म होना, आंखों की पलकों का पूरी तरह बंद नहीं होना.

* वर्षनिहाय आंकडे
वर्ष रुग्ण संख्या
2020-21 411
2021-22 532
2022-23 648
2023-24 671
अप्रैल से अक्तू 2024 307

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