अमरावती

90 दिनों में 279 किसानों की आत्महत्या

सर्वाधिक आत्महत्या अमरावती जिले में

अमरावती/ दि.26 -पश्चिम विदर्भ में किसानों को आत्महत्या का प्रमाण बढता ही जा रहा है. 31 मार्च तक यानि 90 दिनों में लगभग 219 किसानों ने आत्महत्या की, ऐसी रिपोर्ट विभगीय आयुक्त व्दारा शासन को दी गई. हर आठ घंटे में एक किसान के गले में फांसी का फंदा दिखाई देता है. सर्वाधिक 80 आत्महत्या अमरावती जिले में हुई है.
प्राकृतिक आपदा, पर्याप्त मात्रा में फसल ना होना, बैंकों व साहुकारों व्दारा कर्ज का तकादा करना ऐसे अनेकों कारण किसानों की आत्महत्या क पिछे है. किसान इन सभी से संघर्ष कर आखिरकार निराश हो जाता है और आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है. किसानों के समक्ष अपने बच्चों की शिक्षा, उनके शादी-ब्याह और परिवार का उदर निर्वाह कैसे किया जाए यह सभी प्रश्न एक साथ उपस्थित हो जाते है. उसमें उसे सिर्फ फांसी का फंदा ही नजर आता है. इस साल जनवरी महीने में 88, फरवरी महीने में 109 तथा मार्च महीने में 82 किसानों ने आत्महत्या की है. आत्महत्याग्रस्त जिले के लिए शासन व्दारा कुछ योजनाएं कार्यान्वित की गई है. किंतु जरुरतमंद किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है.

* 2001 से 17,938 किसान आत्महत्या
पश्चिम विदर्भ में साल 2001 से 17,938 किसानों की आत्महत्या राजस्व विभाग में दर्ज की गई. जिसमें से सिर्फ 8,166 मामलों में शासन व्दारा मदद की गई और आधे से ज्यादा यानि 9,535 प्रकरण सरकार व्दारा अपात्र ठहराए गए और 237 प्रकरण जांच के लिए प्रलंबित है.

* किसान आत्महत्या की जिला निहाय स्थिति
पश्चिम विदर्भ में इस साल मार्च के अंत में 279 किसानों ने आत्महत्या की है. जिसमें सर्वाधिक संख्या अमरावती जिले की है यहां 80 किसानों ने, अकोला जिले में 29, यवतमाल जिले में 69, बुलढाणा में 61, वाशिम जिले में 40 किसानों ने आत्महत्या की है. जिसमें से केवल 60 मामलों में ही शासन व्दारा मदद की गई. 55 मामले अपात्र ठहराए गए. वहीं 164 मामले जांच के लिए प्रलंबित है.

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