ठेका नियुक्ति के लिए मनपा में निकला 28 करोड का ‘महाटेंडर’
तीन वर्ष के लिए दिया जायेगा ठेका
* प्री-बीड मिटींग से पहले ही जोरदार फिल्डींग
* जेम पोर्टल पर निविदा जारी किये जाने को लेकर आक्षेप
* टेंडर प्रक्रिया अभी से घिर रही है आरोपों व सवालों के घेरे में
अमरावती/दि.24- महानगर पालिका प्रशासन द्वारा मनुष्यबल की ठेके पर नियुक्ती करने हेतु आउटसोर्सिंग एजेंसी तय करने करीब 28 करोड रूपये की ई-निविदा जारी की है. यह ठेका तीन वर्षों के लिए दिया जाना है. यानी महानगरपालिका को अगले तीन वर्षों के दौरान 351 कुशल व अकुशल मनुष्यबल की आपूर्ति करनेवाली आउटसोर्सिंग एजेंसी को प्रतिवर्ष 9.30 करोड रूपये दिये जायेंगे. ऐसे में यह ‘महाटेंडर’ प्राप्त करने हेतु प्री-बीड मिटींग से पहले ही जोरदार फिल्डींग लगायी जा रही है और कुछ हमेशा के चिरपरिचित चेहरों द्वारा विशिष्ट घरों के दरवाजों की चौखट पर जाकर माथा टेका जा रहा है. वहीं दूसरी ओर मनपा द्बारा महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट के बदले जेम पोर्टल पर निविदा जारी किये जाने को लेकर यह टेंडर प्रक्रिया अभी से आरोपो व सवालों के घेरे में घिरती नजर आ रही है. साथ ही साथ इस टेेंडर प्रक्रिया को लेकर मनपा प्रशासन द्बारा तय की गई शर्तों और इसे जल्द से जल्द पूरा करने हेतू दर्शायी जा रही हडबडी को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे है.
बता दें कि, मनपा का आस्थापना खर्च 65 फीसद बढ जाने के चलते फिलहाल मनपा में नई पद भरती पर बंदी है. वहीं दूसरी ओर मनपा की आस्थापना में रहनेवाले कई अधिकारी व कर्मचारी नियत आयुमान के हिसाब से सेवानिवृत्त हो रहे है. जिसके चलते मनपा में रिक्त पदों का काफी बडा अनुशेष बनता जा रहा है. ऐसे में डॉक्टरों व अभियंताओं से लेकर लिपीक व चपरासी स्तर के सभी पदों पर सैंकडों लोग ठेका तत्व पर लिये जा रहे है. फिलहाल मनपा की आस्थापना में पांच अधिकारियों व कर्मचारियों के पीछे एक ठेका नियुक्त अधिकारी व कर्मचारी लिया जा रहा है. इससे पहले मनपा को अस्थायी मनुष्यबल की आपूर्ति करनेवाली आउटसोर्सिंग एजेंसी की कार्य अवधि खत्म हो जाने के चलते 19 अगस्त को ई-निविदा प्रक्रिया शुरू की गई है. महानगर पालिका के कामों का स्वरूप देखते हुए विविध विभागोें के लिए ठेका पध्दति के जरिये उच्च शिक्षित, शिक्षित व न्यूनतम शिक्षित श्रेणी में 351 मनुष्यबल की आवश्यकता नुसार आपूर्ति करने से संबंधित निविदा पर कई लोगों की नजरें गढी हुई है और इस ठेके को हासिल करने के लिए अच्छी-खासी उठापटक भी चल रही है.
वहीं दूसरी ओर मनपा की राजनीति और कामकाज के तरीके से नजदिकी वास्ता रखने वाले लोगों ने इस पूरी प्रक्रिया को लेकर अपनी कडी आपत्ति दर्ज करायी है. जिसमें सबसे प्रमुख आक्षेप इस बात को लेकर ही है. मनपा प्रशासन ने यह निविदा प्रक्रिया राज्य की सरकारी वेबसाईट पर जारी करने की बजाय जेम पोर्टल पर क्यों जारी की और इस निविदा को खोलने के लिए हडबडी दिखाते हुए 29 अगस्त की तारीख क्यों तय की गई है. इस आपत्ति की सबसे प्रमुख वजह यह है कि, जेम पोर्टल पर पहले से रजिस्ट्रड रहने वाली कंपनी या संस्था द्बारा ही इस निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लिया जा सकता है और यदि कोई नई कंपनी या संस्था अपने आपकों इस पोर्टल का पंजीकृत करना चाहे, तो इसमें करीब 12 से 15 दिन का समय लग सकता है. वहीं आउट सोर्सिंग के काम हेतू निविदा प्रस्तुत करने की इच्छूक संस्था या कंपनी के लिए ऑनलाइन पुलिस वैरिफिकेशन करवाना भी अनिवार्य किया गया है. इसमें भी 10 से 12 दिन का समय लगना ही है. जिसके चलते आगामी 29 अगस्त कोई भी नई संस्था या कंपनी इस निविदा प्रक्रिया के लिए अपने आपकों जेम पोर्टल पर रजिस्ट्रर्ड नहीं करा सकती. यानि ऐसी इच्छूक कंपनियां व संस्थाएं पहले ही रेस से बाहर हो गई है. इसके अलावा मनपा प्रशासन ने जेम पोर्टल पर पंजीकृत रहने वाली अमरावती की किसी कंपनी या संस्था को इस निविदा प्रक्रिया में पहली प्राथमिकता देने की बात भी कहीं है. विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक इस पोर्टल पर अमरावती के सुशिक्षित बेरोजगारों की केवल एक ही संस्था पहले से पंजीकृत है. जिसका सीधा मतलब है कि, इसी एक संस्था को आउट सोर्सिंग के ठेके का काम देने की पूरी तैयारी मनपा प्रशासन द्बारा कर ली गई है और टेंडर प्रक्रिया के लिए केवल नाममात्र की कागजी खानापूर्ति की जा रही है.
* बेरोजगारों की संस्था कहां से लाएगी 75 लाख की बैंक सॉलवंसी?
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, आउट सोर्सिंग के ठेके की निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने की इच्छूक कंपनी या संस्था को 75 लाख रुपयों की बैंक सॉलवंसी जमा करवानी है. जिसका सीधा मतलब है कि, 75 लाख रुपए की सॉलवंसी प्राप्त करने हेतू बैंक को करीब 3 करोड रुपए की संपत्ति दिखाई होगी. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, अगर बेरोजगारों की कोई संस्था इस निविदा प्रक्रिया में शामिल होती है, तो उन संस्था में शामिल बेरोजगारों के पास 3 करोड रुपए की संपत्ति कहा से व कैसे आएगी. जिसके दम पर वे 75 लाख रुपए की बैंक सॉलवंसी हासिल कर सकेंगे. लेकिन कोई आश्चर्य नहीं होगा. अगर सुशिक्षित बेरोजगारों की पहले से पंजीकृत संस्था द्बारा ऐसा कारनामा भी कर दिया जाये. तब तो संबंधित संस्था के साथ-साथ मनपा प्रशासन और भी अधिक सवालों के घेरे में घिर जाएगा.
* 3 साल की बजाय 1 साल की हो ठेके की अवधि
मनपा गलियारे से वास्ता रखने वाले कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि, अन्य किसी भी काम के ठेके में ठेकेदार को काफी निवेश करना पडता है. ऐसे मेें उस तरह के कामों का ठेका 3 साल के लिए लिया जाता है. ताकि ठेकेदार द्बारा अपनी लागत को निकाला जा सकें, परंतु आउट सोर्सिंग के काम मेें ठेकेदार की अपनी कोई लागत ही नहीं होती. ऐसे में इस काम का ठेका एक साथ लगातार 3 साल के लिए देने का कोई अवचित्य नहीं है. वैसे भी कुछ ठेकेदार यानि आउट सोर्सिंग एजेंसी द्बारा भी अपने स्तर पर मनुष्यबल की नियुक्ति 11-11 माह के लिए की जाती है. ऐसे में लगातार 3 साल के लिए ठेका देने की बजाय आउट सोर्सिंग के काम का ठेका हर साल दिया जाना चाहिए. ताकि प्रतिस्पर्धा बनी रहे. वहीं यदि इस बीच नौकर भरती से बंदी हटती है, तो मनपा द्बारा अपने स्तर पर पदभरती की जा सकें. अन्यथा 3 साल का ठेका दिये जाने के बाद यदि बीच में नौकर भरती से पाबंदी हटती है, तो मनपा को अपने स्तर पर पदभरती करने में समस्या व दिक्कतों का सामना करना पड सकता है.
* मनपा आयुक्त के पाले में गेंद
बता दें कि, इससे पहले बडी ‘दान-दक्षिणा’ देते हुए महानगर पालिका में समयावृध्दि का खेल खेला जाता था और किसी विशिष्ट संस्था को तीन-चार वर्षों की समयावृध्दि देना अमरावती महानगर पालिका में कोई नई बात नहीं थी, लेकिन प्रशासकीय अनुशासन को लेकर बेहद सख्त रहनेवाले मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर ने इससे पहले आउटसोर्सिंग का काम करनेवाली इटकॉन को केवल क्रीडा शिक्षकों की नियुक्ति हेतु ही सीमित समयावृध्दि दी है. यदि क्रीडा शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित फाईल समय पर आगे बढी होती, तो इटकॉन की कार्यअवधि खत्म होने से पहले ही यह विषय निपट सकता था. ऐसे में कहा जा सकता है कि, शिक्षा विभाग की लापरवाही व अनदेखी की वजह से इटकॉन को आयुक्त आष्टीकर द्वारा मजबुरी में समयावृध्दि दी गई है.
* प्रति वर्ष 2 करोड रूपये की वृध्दि
नई निविदा प्रक्रिया के अनुसार महानगरपालिका को 351 ठेका नियुक्त कर्मचारियों की आपूर्ति करने के बदले में आउटसोर्सिंग एजेंसी को प्रति वर्ष 9 करोड 30 लाख रूपये का भूगतान किया जाना अपेक्षित है. इससे पहले इटकॉन को सालाना 7 करोड 20 लाख रूपये दिये जाते थे. किंतु नई निविदा में इसे लेकर साधारण तौर पर 2 करोड रूपयों की वृध्दि दर्शाई गई है.
मनपा में ठेका तत्व पर 351 मनुष्यबल की आपूर्ति हेतु निविदा प्रक्रिया प्रारंभ की गई है. इस काम हेतु दिये जानेवाले ठेके की अवधि 36 माह की होगी.
– भाग्यश्री बोरेकर
उपायुक्त, अमरावती मनपा