अमरावती/दि.17– पितृपक्ष की कालावधि में यानी सितंबर माह में स्थानीय सहदुय्यम निबंधक कार्यालय में खरीदी-बिक्री के व्यवहार में गिरावट आई थी. दशहरे के बाद फिर से व्यवहार में बढोतरी हुई है. पितृपक्ष में अनेक लोग मकान की खरीदी सहित बडे व्यवहार तथा शुभकार्य करना टालते है. इसी कारण इस व्यवहार पर असर हुआ है.
इस वर्ष 21 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हुई थी. 6 अक्तूबर तक रहनेवाले इस पितृपक्ष में अनेकों ने मकान, प्लॉट की खरीदी-बिक्री का व्यवहार करना टाल दिया. सहदुय्यम निबंधक कार्यालय से संपर्क करने पर सितंबर माह में साधारणत: 20 से 30 प्रतिशत व्यवहार कम होने की जानकारी दी गई. पितृपक्ष में पूर्वजों का स्मरण कर विधि कार्य किए जाते है. इसमें संपत्ति खरीदी-बिक्री का व्यवहार करना लोग टालते है. अनेक वर्षों से चलती आ रही यह प्रथा है. वर्तमान में भी यह प्रथा कायम दिखाई देती है. फिर भी कुछ लोग इस कालावधि में भी संपत्ति खरीदी का व्यवहार करते दिखाई दिए. इस कारण सहदुय्यम निबंधक कार्यालय का व्यवहार कम हुआ. अब दशहरा और दिवाली की अवधि में फिर से व्यवहार बढा है. इस कालावधि में बाजार में नए ऑफर, खरीदी में सहुलीयत दी जाती है. इसका भी परिणाम होकर मार्केट में व्यवहार बढता दिखाई देता है.
* सितंबर में एक हजार संपत्ति का व्यवहार
स्थानीय सहदुय्यम निबंधक कार्यालय क्रमांक 2 और 3 में जांच करने पर इन दोनों कार्यालय में सितंबर माह में 890 व्यवहार हुए. लेकिन अगस्त माह में यह संख्या 1120 थी. करीबन 30 प्रतिशत व्यवहार में कमी आई है.
* मुद्रांक बिक्री 42 प्रतिशत
जिले में गत वर्ष 400 करोड रुपए तथा इस वर्ष 450 करोड रुपए का लक्ष्य है. इस तुलना में 42 प्रतिशत लक्षांक पूर्ण हुआ है. नवंबर से जून माह में संपत्ति का व्यवहार बढता है. इस कारण टार्गेट पूर्ण होने की संभावना ैहै.
* मुद्रांक शुल्क से 450 करोड रुपए का राजस्व
गत वर्ष मुद्रांक बिक्री का 400 करोड रुपए का टार्गेट पूरा हुआ था. इस वर्ष इसमें बढोतरी कर 450 करोड रुपए लक्ष्य रखा गया है. लेकिन बाजार में रहे उत्साह को देखते हुए 450 करोड रुपए से अधिक राजस्व प्राप्त होने की संभावना है.
* अब दिवाली तक बिक्री बढेगी
पितृपक्ष समाप्त होते ही नवरात्रोत्सव की शुरुआत होती है और बाजारों में रौनक बढती जाती है. दशहरे के शुभ अवसर पर संपत्ति खरीदी करने के लिए भारी भीड रहती है और पश्चात दो सप्ताह बाद दिवाली रहती है. इस कालावधि में सर्वाधिक खरीदी की जाती है.
* पितृपक्ष में अनेक लोग संपत्ति खरीदी नहीं करते
पितृपक्ष में अनेक लोग संपत्ति खरीदी करना टालते है. इस कारण सितंबर माह में 15 से 17 प्रतिशत तक मुद्रांक बिक्री कम होती है. दशहरा, दिवाली में संपत्ति खरीदी का व्यवहार बढता दिखाई देता है. वर्तमान स्थिति में टार्गेट के 42 प्रतिशत मुद्रांक की बिक्री हुई है.
– अनिल औतकर, मुद्रांक जिलाधिकारी.