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अमरावती में बिकेगा 300 टन रंग और गुलाल

होली को लेकर लोगों में हैं जबर्दस्त उत्साह

* रंग-बिरंगी रंगों व पिचकारियों से सजा बाजार
* टोपी, मुखौटे व भोंगोें की भी जबर्दस्त मांग
अमरावती/दि.15– विगत करीब दो वर्षों से होली के पर्व पर कोविड संक्रमण के चलते सन्नाटे का साया पसरा हुआ था तथा उमंग व उल्लास से सराबोर रहनेवाला होली का पर्व नहीं मनाया जा सका था. ऐसे में चूंकि इस समय कोविड संक्रमण का असर और प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है. जिसकी वजह से कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों को लगभग पूरी तरह से शिथिल कर दिया गया है, तो ऐसे में अब आगामी 17 व 18 मार्च को मनाये जानेवाली होली के पर्व को लेकर सभी लोगों में जबर्दस्त हर्षोल्लास देखा जा रहा है. साथ ही अभी से होली के पर्व को लेकर सभी लोगों की जबर्दस्त तैयारियां भी शुरू हो गई है. जिसके चलते इस समय शहर में जगह-जगह पर अबीर-गुलाल, रंग और पिचकारी सहित विभिन्न आकार-प्रकार वाले मुखौटे, टोपी एवं अजिबो-गरीब आवाज निकालनेवाले भोंगों की दुकाने सज गई है. एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष अमरावती में होली के पर्व पर करीब 300 टन रंग और गुलाल की बिक्री होगी. प्रति वर्ष अमरावती शहर में होली के पर्व पर 200 से 250 टन अबीर-गुलाल और रंगों की औसतन बिक्री होती है. वहीं इस वर्ष लोगबाग होली के पर्व पर अपने दो साल की कसर को पूरा करने के मूड में दिखाई दे रहे है. जिसकी वजह से इस वर्ष यह बिक्री प्रतिवर्ष की तुलना में कुछ अधिक हो सकती है.
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष की तुलना में इस वर्ष अबीर-गुलाल व विविध तरह के रंगों के दामों में करीब डेढ गुना इजाफा हो गया है. लेकिन इसके बावजूद होली मनाने को लेकर लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं है. साथ ही बाजार में विविध रंगों के साथ-साथ रंग-बिरंगी गुलालों की भी अच्छी-खासी मांग है. जहां एक ओर गुलाल तैयार करने में लगनेवाले आरारोट तथा रंग तैयार करने में लगनेवाले ऑईल की दरें बढ गई है. वहीं रूस-युक्रेन युध्द की वजह से क्रूड ऑईल के दामों में इजाफा होने के चलते प्लास्टिक दाने भी महंगे हो गये है. इन प्लास्टिक दानों से ही प्लास्टिक से बननेवाली पिचकारियां व मुखौटे व टोपी जैसे साहित्य तैयार होते है. जिसकी वजह से इस बार होली से जुडे सभी साहित्यों पर महंगाई का साया देखा जा रहा है. किंतु इसके बावजूद होली पर्व के उत्साह को लेकर कहीं कोई कमी नहीं है. साथ ही प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी पारंपारिक पिचकारियों की बजाय स्पायडर मैन, पबजी, गन, अप्पू टैंक व पाईप जैसी फैन्सी पिचकारियों की अच्छी-खासी मांग देखी जा रही है.
जहां तक रंगों का सवाल है, तो लोगबाग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी हद तक सजग व सतर्क हो गये है. जिसके चलते विगत कुछ वर्षों से केमिकल रंगों की बजाय हर्बल रंगों व गुलाल की मांग काफी अधिक बढ गई है. इसमें भी वनस्पतियों से तैयार होनेवाले सुगंधित हर्बल गुलाल की मांग का प्रमाण काफी अधिक है.
अमरावती में वर्ष 1895 से यानी विगत छह से सात पीढियों से रंगों व अबीर-गुलाल का व्यवसाय कर रहे जयपूरवाला एन्ड सन्स फर्म के संचालक वसीम अहमद जयपूरवाला ने बताया कि, विगत दो वर्षों के अनुभव को देखते हुए इस वर्ष काफी संभलते हुए रंगों का उत्पादन किया जा रहा था. किंतु तीसरी लहर का कोई विशेष असर नहीं रहने के चलते स्पष्ट हो गया था कि, बहुत जल्द हम सभी को प्रतिबंधों से मुक्ति मिल जायेगी. ऐसे में विगत 1 मार्च से पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू किया गया. विगत एक सप्ताह से बाजार में होली पर्व को लेकर तेजी देखी जा रही है और इस वक्त रंगोें एवं अबीर-गुलाल की अच्छी-खासी मांग है, जो दिनों-दिन बढ रही है. जयपुरवाला के मुताबिक यहां वे स्थानीय स्तर पर विभिन्न रंगों का उत्पादन करते है. वहीं दूसरी ओर कुछ बडे शहरों से भी अबीर व गुलाल की बडे पैमाने पर आवक होती है. वहीं अबीर व गुलाल के व्यवसाय से जुडे कुछ थोक व्यापारियों के मुताबिक विगत दो वर्षों के दौरान होली सहित दुर्गोत्सव व गणेशोत्सव जैसे मौकोें पर अबीर व गुलाल की कोई बिक्री नहीं हुई. वहीं अब उत्साह व उल्लासवाले होली पर्व से ऐन पहले प्रतिबंधात्मक नियमों के शिथिल हो जाने की वजह से होलिका पर्व कई गुना अधिक जोश के साथ मनाया जायेगा. जिसके लिए लोगबाग बडे पैमाने पर रंगों व पिचकारियों सहित होली से संबंधित सामग्री की खरीददारी कर रहे है.

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