अमरावती/प्रतिनिधि दि.१९ – पश्चिम विदर्भ में जहां कोरोना संक्रमण से इस साल जनवरी से अप्रैल महीने के दौरान 3 हजार 142 लोगों की मौत हुई है वहीं इस कालावधि में 303 किसानों की आत्महत्या के मामले भी समाने आए है. विभागीय आयुक्त कार्यालय द्बारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार यह स्थिति स्पष्ट हुई है. अमरावती विभाग के किसान आत्महत्या प्रकरण पांच जिलों सहित नागपुर विभाग के वर्धा जिले की किसान आत्महत्या भी 2001 से विभागीय आयुक्त कार्यालय में दर्ज की गई.
2001 से 2021 तक छह जिलों में 18,624 किसानों ने आत्महत्या की. जिसमें 8 हजार 403 किसान आत्महत्या शासन द्बारा पात्र ठहरायी गई. इसके अलावा 8 हजार 473 मामले शासन स्तरपर नामंजूर कर दिए गए अब 304 मामले जांच के लिए प्रलंबित है.
बकाया कर्ज, निजी सावकारों से लिया गया कर्ज की वसूली के लिए लगाए गए तकादे व फसल न होने की वजह से तथा नैसर्गिक आपदा की वजह से नुकसान, बच्चों की शिक्षा, उनके शादी ब्याह आदि बातों से निराश होकर किसानों ने आत्महत्या की थी. शासन द्बारा किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु और उनका मनोबल बढाए जाने के लिए योजनाएं चलायी जा रही है. किंतु उन्हें इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है यह सच्चाई है.
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जिला निहाय किसान आत्महत्या
इस साल चार महीनों में अमरावती जिले में 54, अकोला 37, यवतमाल 83, बुलढाणा 73, वाशिम 16 तथा वर्धा जिले में 40 किसानों ने आत्महत्या की है. किसानों की आत्महत्या की रोकथाम के लिए बनाए गए शेतकरी मिशन का काम भी पिछले दो वर्षो से ठंडे बस्ते में है