अमरावती

सिंचाई के लिए जिले में 305 सौर कृषिपंप कार्यान्वित

मेलघाट की दुर्गम क्षेत्र की खेती को लाभ

  • बिजली खंडित होने की किल्लत खत्म

अमरावती/दि.8 – कृषि के लिए अखंडित सिंचाई के लिए अटल सौर कृषि पंप कार्यान्वित किए गये. बिजली न पहुंचनेवाले मेलघाट के दुर्गम क्षेत्र में इस योजना का विशेष लाभ हो रहा है.
सौर ऊर्जा के सहयोग से भारनियमन , बिजली कटौती अथवा नैसर्गिक आपत्ती से होनेवाला नुकसान के कारण बाधित रहनेवाली सिंचाई नियमित रूप से शुरू रहने में मदद मिलती है. राज्य में अटल सौर कृषि पंप योजना महाराष्ट्र ऊर्जा विकास अभिकरण (महाऊर्जा) द्वारा चलाई जाती है. उस अंतर्गत 305 सौर पंप जिले में कार्यान्वित है. योजना मेंं तीन, पांच एचपी अश्वशक्ति (एसी व डीसी) क्षमता का सौर कृषि पंप का समावेश किया गया है. किसानों को केवल 5 प्रतिशत लाभार्थी हिस्सा प्राप्त होकर अनुदानित पंप मिलता है. अल्पभूधारक और दुर्गम क्षेत्र में खेती करनेवाले किसानों को अनुदान पर आधारित रहनेवाले सौर कृषि पंप देने की योजना का लाभ किसानों को मिलता है. सौर कृषि पंप के कारण खेत के कुएं में बिजली के अलावा फसल तक पहुंच सकता है. रात के अंधेरे में दुर्घटना से तथा भारनियमन और बिजली बिल से मुक्ति मिलती है. नैसर्गिक आपत्ति से इस सौर पंप को बीमा सुरक्षा भी दी गई है. इस योजना में अति दुर्गम क्षेत्र में विद्युतीकरण न होनेवाले क्षेत्र में विद्युतीकरण के लिए वन विभाग का ना हरकत प्रमाणपत्र न मिलनेवाला किसान महावितरण की ओर से तकनीकी द़ृष्टि से बिजली कनेक्शन असंभव होनेवाले किसान, महावितरण की ओर बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया. परंतु बिजली कनेक्शन मिल न सकनेवाले सभी किसान इस योजना के लिए पात्र रहेंगे.
सौर शक्ति के इस लाभ के कारण अतिदुर्गम क्षेत्र में जैसे मेलघाट जैसे क्षेत्र में धारणी व चिखलदरा इन दोनों तहसील के क्षेत्र में किसानों के खेत में सिंचाई के लिए भरपूर सहायता मिली है. धारणी व चिखलदरा तहसील के किसानों को केवल अतिदुर्गम क्षेत्र होने से इस स्थान पर बिजली कनेक्शन नहीं मिलता था, ऐसी स्थिति मेंं डीजल पंप का उपयोग करना भी आर्थिक द़ृष्टि से महंगा पड़ता था. आखिर सौर कृषि पंप योजना के कारण इस समस्या का निराकरण हुआ.
इस योजना के लिए प्रफुल्ल तायडे विभागीय महाव्यवस्थापक महाऊर्जा,विभागीय कार्यालय, अमरावती के मार्गदर्शन मेें प्रकल्प अधिकारी प्रसाद उपासने, स्नेहल आसोले, अमित गजभिए, सागर काल, जगदीश नाखले, हर्षल काकडे व कर्मचारियों ने परिश्रम कर इस योजना को सफल बनाया.

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