अमरावती

32 प्रतिशत बारिश कम, अंकुरों की बढोतरी रुकी, किसानों की चिंता बढी

अब तक 68 प्रतिशत बरसे मेघ

अमरावती/दि.19– जिले में इस बार बारिश औसत से 32 प्रतिशत कम हुई है. फलस्वरुप किसान और सभी चिंतित हो गए है. शीघ्र ही तेज और भरपूर बरसात न होने पर खेती किसानी के साथ-साथ पीने के पानी की भी कमी की आशंका बढ गई है. इस बीच दो रोज से अनेक भागों में शुरु रिमझिम बरसात के कारण कुछ आशा पल्लवीत हुई है. कृषि अधिकारी भी मानते हैं कि बारिश शुरु हो जाने से अंकुरित बीज अब बढेंगे, पौधे का रुप लेंगे. उधर जलाशयों में पिछले साल की तुलना में कम पानी होने से भी विभाग के लोग चिंता व्यक्त कर रहे हैं.
इस बार मानसून तीन सप्ताह विलंब से आया. जिसके कारण बुआई देरी से हुई. जुलाई में हालांकि भरपूर बरसात हुई. उसके बाद दो सप्ताह तक बारिश के ब्रेक के कारण सभी चिंतित हो उठे थे. 95 प्रतिशत बुआई हो गई. इसी दौरान कुछ भागों में अतिवृष्टि और बाढ के कारण 80 हजार हेक्टेयर में फसलों का नुक Amravati Mandalसान हुआ. फिलहाल औसत से 32 प्रतिशत बारिश कम होने के आंकडे सामने आए हैं. 1 जून से 18 अगस्त दौरान जिले में 588 मिमी बारिश होती है. इस बार यह 401 मिमी तक पहुंची है.
* क्या कहते हैं किसान
बारिश के कारण चिंता बढी, यह कहना है दर्यापुर के सचिन इंगोले का. उन्होंने कहा कि आरंभ से ही कम बारिश हो रही है. अब फसलों की वृद्धि हेतु बारिश की आवश्यकता है. बादल है लेकिन पानी नहीं बरस रहा. तिवसा के दादाराव साबले ने कहा कि चार-पांच दिनों से बरसात हो रही है. इसलिए अभी तो चिंता दूर हुई है.
* चार्ट
तहसील निहाय बारिश
धारणी 363
चिखलदार 724
अमरावती 384
भातकुली 325
नां. खंडेश्वर 422
चांदूर रेलवे 416
तिवसा 438
मोर्शी 438
वरुड 534
दर्यापुर 193
अंजनगांव 237
अचलपुर 343
चांदूर बाजार 543
धामणगांव 423

* संतरा गला, करोडों का नुकसान
ंसंतरा का आंबिया बहार इस बार खराब हो रहा है. काफी प्रमाण में संतरे पेड से झड रहे हैं. जिससे करोडों के नुकसान का अंदेशा है. विभागीय कृषि सहसंचालक भी मान्य करते है कि पोषणत्व की कमी के कारण फफूंद जैसे रोग के कारण संतरा झड रहा है. बता दें कि जिले में कलेक्टर सौरभ कटियार ने अनेक भागों में संतरा के हो रहे नुकसान का प्रत्यक्ष मुआयना किया है. संभाग में संतरे का क्षेत्र और उत्पादन पूरे देश में सर्वाधिक है. अमरावती में 70 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर संतरे के बगीचे है. जिससे 5 लाख 95 हजार से अधिक मैट्रिक टन उत्पादन होता आया है.

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