अमरावती

राज्य में 32 सलून व्यवसायियों ने की आत्महत्या

जिले के 4 सलून व्यवसायियों का समावेश

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१ – कोविड संक्रमण काल के दौरान राज्य सरकार द्वारा सभी सलून व्यवसायियों को अपनी दुकाने बंद रखने हेतु कहा गया था. ऐसे में आय का स्त्रोत ही बंद हो जाने और परिवार की जरूरतों सहित तमाम खर्च जारी रहने की वजह से सलून व्यवसायी बेरोजगारी व भूखमरी का सामना करने लगे. साथ ही ऐसी स्थिति से हताश होकर राज्य में 32 सलून व्यवसायियों द्वारा आत्महत्या की गई. जिनमें अमरावती जिले के भी चार सलून व्यवसायियों का समावेश रहा. ऐसी जानकारी नाभिक महामंडल के जिलाध्यक्ष सुभाष मानेकर द्वारा दी गई है.
इस संदर्भ में दी गई जानकारी के मुताबिक जिले की कुल जनसंख्या में नाभिक समाज की जनसंख्या साढे पांच प्रतिशत है. जिसमें से 90 फीसदी नाभिक समाज बांधव सलून का व्यवसाय करते है और इसमें से अधिकांश ने किराये की जगह पर अपना व्यवसाय शुरू किया है और करीब 60 प्रतिशत सलून व्यवसायी शहर में किराये का मकान लेेकर रहते है. कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान सलून की दुकानों को सबसे अधिक समय तक बंद रखा गया. ऐसे में बीते पूरे एक वर्ष से सलून व्यवसायी लगभग खाली हाथ बैठे हुए है और इस दौरान उन्हें अपने घर और दुकान का किराया देने के साथ ही अपना घर खर्च चलाना काफी मुश्किल जा रहा है. इस दौरान यद्यपि कई सलून व्यवसायियों ने अपने ग्राहकों को होम सर्विस उपलब्ध कराने के साथ ही चोरी-छिपे ढंग से काम भी किया. किंतु इस जरिये होनेवाली आय से घर चलाना काफी मुश्किल रहा. वहीं इन सलून व्यवसायियों को लॉकडाउन काल के दौरान सरकार की ओर से कोई राहत या सहायता भी नहीं मिली. ऐसे में इन्हें कई तरह की मुश्किलों का लगातार सामना करना पड रहा है.

राज्य में विगत डेढ वर्ष के दौरान नाभिक समाज के 32 सलून व्यवसायियों ने आत्महत्या की. जिसमें अमरावती जिले के तिवसा निवासी एक, मोर्शी निवासी एक तथा अमरावती शहर निवासी दो सलून व्यवसायियों का समावेश है. वहीं नाभिक समाज के करीब 150 नागरिकों की कोविड संक्रमण के चलते मौत हुई है. किंतु समाज को सरकार एवं प्रशासन की ओर से कोई भी राहत या सहायता नहीं मिली है.
– सुभाष मानेकर
जिलाध्यक्ष, नाभिक महामंडल

  • जिलाधीश को सौंपा निवेदन

इस संदर्भ में नाभिक समाज की ओर से विवेक राउत द्वारा जिलाधीश शैलेश नवाल को ज्ञापन सौंपते हुए कहा गया कि, जिले में 12 हजार सलून है. प्रत्येक सलून में 2 कारागीर भी ग्राह्य माने जाये, तो 50 कारागीरों के परिवार का उदरनिर्वाह इस व्यवसाय पर निर्भर करता है. कई लोगों ने किराये पर दुकान लेकर सलून शुरू किया है, जो लॉकडाउन काल के दौरान किराया देने में असमर्थ रहे है. ऐसे में उन्हें दुकान मालिकों द्वारा दुकान खाली करने की धमकी दी जाती है. अत: सरकार ने सलून व्यवसायियोें को सहायता उपलब्ध करानी चाहिए.

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