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व्याघ्र मौतों के मामले में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर
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राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण ने जारी किये आंकडे
अमरावती/प्रतिनिधि दि.९ – देश में बाघों को बचाने के लिए पूरी गंभीरता के साथ बडे पैमाने पर प्रयास किये जा रहे है. लेकिन इसके बावजूद विगत 9 वर्षों के दौरान देश में कुल 856 बाघों की मौत हुई है. जिसमें से 35 फीसदी बाघों को वन्यजीव तस्करों द्वारा अपना शिकार बनाया गया. ऐसी सनसनीखेज जानकारी सामने आयी है. साथ ही जारी वर्ष के दौरान अब तक विभिन्न कारणों के चलते 78 बाघों की मौत होने की बात भी सामने आयी है.
किसी समय देश में बाघों की प्रजाति लुप्तप्राय होने की कगार पर थी. पश्चात राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण द्वारा किये जानेवाले प्रयासों के चलते धीरे-धीरे बाघों की संख्या बढने लगी और व्याघ्र संवर्धन को लेकर एक आशादायी चित्र वर्ष 2018 की व्याघ्र गणना में दिखाई दिया, जब देश में 2 हजार 967 बाघ रहने की जानकारी दर्ज की गई. वहीं अब वर्ष 2021-22 के लिए व्याघ्र गणना हेतु तैयारियां की जा रही है. इसके मद्देनजर राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण की ओर से जारी अधिकृत आंकडेवारी के मुताबिक बीते 9 वर्षों के दौरान देश ने 857 बाघों को खो दिया है. इसमें सर्वाधिक 202 मौतें मध्यप्रदेश में हुई है. साथ ही 141 व्याघ्र मौतोें के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर तथा 123 व्याघ्र मौतों के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर है. सबसे सनसनीखेज जानकारी यह है कि, इन 9 वर्षों के दौरान मृत हुए 857 बाघों में से 301 बाघ वन्य तस्करों का शिकार हुए है. हालांकि वर्ष 2012 से 2020 की कालावधि में हुई अधिकांश व्याघ्र मौतों के मामलों का खुलासा कर लिया गया है और इस समय केवल 11.9 प्रतिशत यानी 95 मामलों में जांच पूरी होना बाकी है. जांच के दौरान पता चला कि, 301 बाघों में से 108 बाघों की शिकार उनके महत्वपूर्ण अंगों की चोरी हेतु की गई है और इन 108 मामलोें में तस्करों के पास से बाघों के अंग बरामद किये गये. विगत कुछ वर्षों के दौरान बाघों का शिकार करने की घटनाओं में कुछ कमी जरूर आयी है, लेकिन शिकार की घटनाएं लगातार जारी रहने को चिंता का विषय माना जा रहा है.
बता दें कि, भारत में बाघों के लिए बेहतरीन नैसर्गिक अधिवास रहने के चलते पूरी दुनिया द्वारा भारत की ओर बाघों के संरक्षण हेतु आशापूर्ण निगाह से देखा जाता है. ऐसे में बाघों की मौतोें की वजहों को खोजना विशेषज्ञों की नजर में बेहद आवश्यक है. जानकारी के मुताबिक जारी वर्ष में अब तक 78 बाघों की देश में अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न वजहों के चलते मौत हुई है. इसमें भी सर्वाधिक 26 मौतें मध्यप्रदेश में हुई है. वहीं महाराष्ट्र में 18 तथा कर्नाटक में 11 बाघों की मौत हुई.
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व्याघ्र संरक्षित क्षेत्रों में सर्वाधिक मौतेें
विगत 9 वर्षों के दौरान हुई कुल 857 मौतोें में से 478 यानी 55.78 फीसद बाघों की मौतेें व्याघ्र संरक्षण प्रकल्प में हुई है. वहीं 271 यानी 31.62 फीसद बाघों की मौत उनके व्याघ्र प्रकल्प से बाहर निकलने के बाद हुई है. ऐसे में इसे खतरे की घंटी माना जा रहा है और व्याघ्र संरक्षित क्षेत्रों को और अधिक सुरक्षित करने की मांग की जा रही है.
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व्याघ्र मौतोें व शिकार के वर्षनिहाय आंकडे
वर्ष मौतें शिकार
2012 88 23
2013 68 29
2014 79 13
2015 82 12
2016 121 25
2017 116 33
2018 102 34
2019 95 17
2020 105 07