* राज्य ने दिया अपना हिस्सा, केंद्र ने अडाया
अमरावती/दि.27 – अगल-अलग योजनाओं के माध्यम से बुजुर्गों को दिए जाने वाले अनुदान में केंद्र सरकार का हिस्सा विगत 15 माह से विभिन्न तकनीकी दिक्कतों मेें अटका हुआ है. जिसके चलते बुजुर्गों को 15 माह से वृद्धत्व अनुदान प्राप्त नहीं हुआ है. जिले में अनुदान से वंचित रहने वाले लाभार्थी बुजुर्गों की संख्या 35 हजार के आसपास है. जिन्हें 15 माह से अनुदान की राशि नहीं मिलने के चलते विभिन्न समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडेगा.
बता दें कि, बुजुर्गों को इंदिरा गांधी वृद्धांवस्था पेंशन योजना, श्रावण बाल योजना व संजय गांधी निराधार योजना आदि योजनाओं के जरिए वृद्धत्व अनुदान राशि प्रदान की जाती है. जिसमें केंद्र एवं राज्य सरकार द्बारा हिस्सा दिया जाता है. परंतु विगत 15 माह के दौरान यहा राज्यसरकार ने ऐसी योजनाओं के लिए अपना हिस्सा प्रदान कर दिया है. वहीं कई तकनीकी मामलों की वजह से केंद्र सरकार द्बारा दिया जाने वाला हिस्सा अटका पडा है. जिसके चलते लाभार्थी बुजुर्गों को वृद्धित्व अनुदान की राशि प्रदान नहीं की जा सकी है.
पता चला है कि, राज्य सरकार की ओर से अनुदान के तौर पर प्रतिमाह 800 रुपए बीच-बीच में अदा किए जाते है और यह अनुदान सीधे बैंक के जरिए लाभार्थियों के खाते में जमा होता है. इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से दिया जाने वाला अनुदान भी इसी तरह से जमा होता था. परंतु अब इन बुजुर्गों के पास राष्ट्रीयकृत बैंकों व डाक विभाग में खाता नहीं है. इस वजह को आगे करते हुए उनका अनुदान रोककर रखे जाने की बात जिला प्रशासन द्बारा कही गई है. विशेष यह है कि, इसमें से कई बुजुर्गों ने राष्ट्रीयकृत बैंकों में अपने खाते खोले है. परंतु उनका खाता क्रमांक अपडेट नहीं किए जाने की वजह से संबंधित लाभार्थी अब तक वृद्धत्व अनुदान से वंचित है.
बता दें कि, जिले में 5 लाख से अधिक बुजुर्गों को अलग-अलग योजनाओं के मार्फत वृद्धत्व अनुदान की राशि प्रदान की जाती है. जिसके तहत केंद्र सरकार की ओर से 200 रुपए तथा राज्य सरकार की ओर से 800 रुपए ऐसे कुल 1 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाने का प्रावधान है. परंतु जिले के 35 हजार बुजुर्ग लाभार्थियों को विगत 15 माह से केंद्र सरकार द्बारा दी जाने वाली 200 रुपए की अनुदान राशि प्राप्त नहीं हुई है. साथ ही कई लाभार्थी ऐसे भी है. जिन्हें 18 महिने से यह राशि प्राप्त नहीं हुई है. ऐसे लाभार्थियों द्बारा समय-समय पर अपने क्षेत्र से संबंधित तहसील कार्यालयों सहित अपनी बैंक में जाकर अनुदान के संदर्भ में पूछताछ की जाती है. लेकिन उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली है.
* ना एड्राइड फोन, ना तकनीकी सहायता, कैसे खोले नया खाता?
उल्लेखनीय है कि, इन बुजुर्गों के पास न तो एनड्राइड मोबाइल फोन होता है, न ही अन्य कोई पर्यायी तांत्रिक व्यवस्था जिसके चलते वे सहज तरीके से नये बैंक खाते भी नहीं खोल पाते. वहीं कई बुजुर्ग नागरिकों के लिए इस उम्र में बार-बार बैंक अथवा तहसील कार्यालय में जाना संभव नहीं हो पाता, बल्कि वहां तक जाने के लिए ऑटो रिक्षा अथवा किसी अन्य व्यक्ति की सहायता लेनी पडती है और कई बार उन्हें साथ चलने के लिए किसी की सहायता भी नहीं मिल पाती. ऐसी स्थिति में बुजुर्गों को एक तरह से हतबलता का शिकार होना पडता है.
* जिम्मेदारी स्वीकारने के लिए कोई भी तैयार नहीं
विगत करीब 15 माह से अपडेशन का काम शुरु है, ऐसा कहा जा रहा है. जिसे देखकर साफ है कि, प्रशासनीक स्तर पर काफी धीमी गति से काम हो रहा है, लेकिन इसकी वजह से कमजोर आर्थिक स्थिति रहने वाले बुजुर्गों को काफी परेशानियां हो रही है. इसके चलते स्वाभाविक रुप से सरकारी और प्रशासनीक व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे है. लेकिन राजस्व विभाग अथवा बैंक प्रशासन में से कोई भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.
* अपडेशन शुरु, लाभ निश्चित मिलेगा
जिन बुजुर्गों के पास बैंक खाते नहीं है, उन्हें भी बैंकों के मार्फत सहायता करने का काम शुरु है. साथ ही जिन बुजुर्गों ने राष्ट्रीयकृत बैंकों अथवा डाक विभाग मेें बचत खाते खोले है. उनके खातों का अपडेशन शुरु है. जिसके पूरा हो जाने के बाद संबंधितों को यह अनुदान मिलेगा. फिलहाल अधिकांश बुजुर्गों के खातों का अपडेशन पूर्ण हो चुका है और उन्हें प्रलंबित रकम सहित लाभ प्रदान किया जाएगा. इसे लेकर सूची तैयार करते हुए उसे केंद्र सरकार के संबंधित महकमें के पास भेजा जाएगा.
– डॉ. विवेक घोडके,
निवासी उपजिलाधीश,
अमरावती.
* आयटक ने उठाया जिम्मा, सुझाया पर्याय
विगत 15 माह से अनुदान मिलने की प्रतीक्षा कर रहे बुजुर्गों के संघर्ष को प्रशासन तक पहुंचाने हेतु ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस यानि आयटक ने जिम्मा उठाया है. साथ ही इस संदर्भ में निवासी उपजिलाधीश व अन्य संबंधित अधिकारियों से मुलाकात करते हुए राजस्व विभाग, बैंक प्रशासन व डाक विभाग को आपसी समन्वय के साथ काम करने और लाभार्थी बुजुर्गों को अनुदान के तौर पर सहायता राशि का लाभ उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है.
* दवाईयों का खर्च भी अटका
आयटक पदाधिकारी नीलकंठ ढोके ने इस संदर्भ में राजस्व एवं बैंक अधिकारियों से मुलाकात करते हुए उन्हें बताया कि, वृद्धत्व अनुदान की राशि उपलब्ध नहीं हो पाने के चलते कई बुजुर्गों को प्रतिमाह लगने वाली दवाईयों का खर्च करना भी मुश्किल हो गया है. कमजोर आर्थिक स्थिति से वास्ता रखने वाले कई बुजुर्ग ऐसे भी है. जो ढलती उम्र में शुगर, बीपी व किडनी संबंधित बीमारियों का शिकार है तथा उन्हें प्रतिमाह अपने दवाईयों के लिए अच्छा खासा पैसा खर्च करना पडता है. इसमें से कुछ बुजुर्गों को नियमित तौर पर डायलिसिस भी करवाना पडता है. ऐसी स्थिति में विगत कई माह से उन्हें वृद्धत्व अनुदान की राशि प्राप्त नहीं होने के चलते उन्हें अच्छी खासी परेशानियों व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.