अमरावतीमहाराष्ट्र

टाकरखेडा संभू का 350 वर्ष प्राचीन सती रेणुका माता मंदिर

धूमधाम से मनाया जाता है नवरात्रि उत्सव

* भक्तों का आस्था स्थल
टाकरखेडासंभू /दि. 3 – प्राचीन कालीन 350 वर्ष पुराने भातकुली तहसील के टाकरखेडा संभु में सती रेणुका माता मंदिर की स्थापना की गई थी. यह जागृत देवस्थान होने के साथ-साथ यह देवी मंदिर पंचक्रोशी के नागरिकों के लिए अपार श्रद्धा का स्थान है. नवरात्रि उत्सव के मौके पर यहां देवी के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड पडता है. इस बार भी यहां नवरात्रि उत्सव पर यहां भक्तों की भारी भीड उमडेगी. गांव के कई लोगों ने इस देवी की दिव्य शक्ति का अनुभव किया है.
देवी को किसी ने एक गाय दान के रुप में दी थी. कुछ दिनों बाद उस गाय ने बछडे को जन्म दिया. गाय को कोई भी चारा-पानी देता था, उससे मिलने वाली आय से मंदिर का जिर्णोद्धार किया गया.कालांतर में यावले के घर में कुछ चमत्कारिक घटनाएं हुई. उस पर देवी की कृपा हुई. श्रद्धा के कारण उन्होंने दो एकड जमीन मंदिर को दान के रूप में दी.

इस मंदिर की पंच कमेटी का निर्माण किया गया. इस कमेटी के माध्यम से मंदिर का कामकाज किया जा रहा है. प्रभाकर बापु देशमुख जब मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष थे, उस वक्त मंदिर का निर्माण किया गया. उसके बाद गजानन बोबडे मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष बने. उन्होंने भी मंदिर का कामकाज उचित तरीके से चलाया. उनके बाद दिलीप वानखडे को कुछ दिनों तक अध्यक्ष बनाया गया था. वर्तमान में संध्या बोबडे अध्यक्ष है. जबकि दिलीप वानखडे इस संस्था के सचिव है.

कई चमत्कारिक घटनाओं का भक्तों को अनुभव
महादेव बोबडे के परिवार के एक सदस्य की हालत गंभीर थी. उन्होंने रोगी को रेणुका माता के नाम का लेप लगाया. जिसके बाद केवल पांच घंटे में उनकी हालत ठीक हो गई. उन्हें अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पडी. भाऊराव आदिवकर के सपने में आकर देवी ने उनके सिर पर हाथ रखा और उन्हें आशीर्वाद दिया. गांव के पुराने नागरिकों का कहना है कि, यहां ऐसे कई चमत्कार हुए है. जिस पर लोग यकीन नहीं करते है, पर ऐसी घटना गांव में हुई है. यहां पर सात दिनों तक देवी का उत्सव मनाया जाता है. नारायणराव आदिवकर ने यहां सात दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम, श्री पुंडलिक महाराज की शोभायात्रा निकाली जाती है. शोभायात्रा में पूरा गांव भाग लेता है. यहां पर नवरात्रि के मौके पर हर दिन सुबह 4 बजे बडी मात्रा में अन्नदान किया जाता है. टाकरखेडा संभू गांव में स्थित रेणुका माता मंदिर को जागृत मंदिर माना जाता है.

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