* रकम तो बची, लेकिन बैंक में फंसी
अमरावती/दि.10- वर्क फॉर्म होम के नाम पर स्थानीय श्याम नगर में रहनेवाले राजेश कराले नामक व्यक्ति के साथ ऑनलाइन ठगबाजों ने 37 हजार 786 रुपयों की ऑनलाइन ठगबाजी की थी. जिसे लेकर राजेश कराले ने 24 मार्च को फ्रेजरपुरा थाने सहित सायबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. वहीं अब इस मामले में करीब तीन माह बाद विगत 7 जून को अज्ञात अपराधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. क्योंकि राजेश कराले व्दारा दर्ज कराई गई शिकायत के चलते सायबर अपराधी के पास से उनकी रकम तो बचा ली गई. लेकिन चूंकि इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी, ऐसे में बैंक ने बिना एफआईआर के उक्त रकम वापिस लौटाने से मना कर दिया था और इस रकम को सीज कर दिया था. तब कहीं जाकर पता चला कि तीन माह पहले सायबर पुलिस ने राजेश कराले की शिकायत पर उन्हें केवल ‘एकनॉलेजमेंट’ दिया था और एफआईआर दर्ज नहीं की थी.
बता दें कि विगत मार्च माह के दौरान राजेश कराले अपना फेसबुक अकाउंट देख रहे थे. तभ उन्हे वर्क फॉर्म होम का एक विज्ञापन दिखाई दिया. जिसमें दिखाई दे रहे नंंबर पर मैसेज भेजते ही दूसरी ओर से उनके वॉटसअप पर काम के संदर्भ में जानकरी आई और उन्हें टेलिग्राम एप डाउनलोड करने हेतु कहा गया. साथ ही उनका फोन पे नंबर लेते हुए उन्हें एक प्रोडक्ट दिया गया और उसकी एक घंटे में विक्री करने पर कमिशन देने की बात कही गई. साथ ही एक की बजाए पांच प्रोडक्ट देकर कमिशन के लिए पहले पूरी रकम ट्रांसफर करने हेतु कहा गया. जिसके चलते राजेश कराले ने 37 हजार 786 रुपए ट्रांसफर किए. जिसके बाद उन्हें और भी 40 हजार रुपए ट्रांसफर करने हेतु कहा गया और 40 हजार रुपए भेजने पर पहले भेजी हुई रकम व कमिशन देने का संदेश टेलिग्राम के जरिए दिया गया. परंतु इसे लेकर राजेश कराले को संदेह हुआ और उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी फ्रेजरपुरा पुलिस सहित सायबर सेल को दी और सायबर सेल व्दारा उठाए गए कदमों के चलते राजेश कराले की रकम एक बार उनके खाते में वापिस आई. लेकिन इस रकम को वापिस लौटाने हेतु बैंक ने एफआईआर की कॉपी और कोर्ट की ऑर्डर मांगी. जिसके चलते 7 जून को राजेश कराले एक बार फिर सायबर पुलिस स्टेशन पहुंचे. जहां से उन्हें फ्रेजरपुरा थाने भेजा गया और तब कहीं जाकर 7 जून को रात 9 बजे उनकी नियमानुसार शिकायत दर्ज करते हुए उन्हें एफआईआर की कॉपी दी गई. तब पता चला कि इससे पहले शिकायत दर्ज करवाने पर सायबर सेल ने उनकी शिकायत लेते हुए उन्हें केवल एकनॉलेजमेंट की कॉपी दी गई थी.