अमरावती

जिले की 397 स्कूलों के पास अपना खेल मैदान नहीं

विद्यार्थी खिलाडियों का हो रहा नुकसान

* कैसे होगा व्यक्तित्व विकास?
अमरावती/दि.5- केंद्र सरकार द्वारा अच्छे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने तथा विद्यार्थियों में खेल के प्रति रुचि पैदा करने के लिए खेलो इंडिया के माध्यम से विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. जिन स्कूलों में खेल के मैदान हैं, उन्हें खेल उपकरण, ओपन जिम, व्यायामशाला, सामग्री, धन जैसी विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. हालांकि, जिला परिषद के 1 हजार 580 स्कूलों में से 397 स्कूलों के पास अपना मैदान नहीं है. इसलिए वे इन सुविधाओं से वंचित हैं. जिसके कारण सवाल उठ रहा है कि यहां के विद्यार्थियों का व्यक्तित्व विकास कैसे होगा?
पिछले कई वर्षों से जिले को खेल का मैदान मिल सके इसके लिए जिप प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया. यह सरकारी उदासीनता का एक और उदाहरण है. इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि जब मैदान या खेल का मैदान नहीं होगा तो अच्छे खिलाड़ी कैसे मिलेंगे, क्या उन्हें कक्षाओं में बैठना चाहिए. एक तरफ कहा जा रहा है कि छात्र मैदान में नहीं आ रहे हैं, अपने मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी और लैपटॉप पर ही लगे रहते हैं. वहीं दूसरी ओर, किसी को परवाह नहीं है कि उनके पास खेल का मैदान है या नहीं. खेल के मैदान के बिना स्कूल राज्य और केंद्र सरकार की खेल सुविधाओं से वंचित हैं. इस वजह से छात्र खिलाडियों का ही नुकसान हो रहा है. स्कूल हाल ही में शुरू हुए हैं और जिला और तहसील खेल प्रतियोगिताएं 25 जुलाई से शुरू हो रही हैं. इन 397 स्कूलों के छात्र बिना खेल अभ्यास के प्रतियोगिता से दूर रहेंगे क्योंकि अधिकांश खेल बाहर खेले जाते हैं. यह स्कूलों के साथ-साथ छात्रों और अभिभावकों के लिए भी एक बड़ी क्षति है. हर कोई एक बेहतर खिलाड़ी बनना चाहता है. लेकिन, इसके लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
* तहसील में बिना मैदान के स्कूल
अचलपुर –                44
अमरावती –              32
अंजनगांव सुर्जी –      28
भातकुली –                21
चांदूर बाजार –           32
चिखलदरा –              78
चांदुर रेलवे –              3
दर्यापुर –                   25
धारणी –                   33
धामणगांव रेलवे –   15
मोर्शी –                     9
नांदगांव खंडेश्वर –    29
तिवसा –                  8
वरूड –                     5
कुल –                    397
* टीवी और मोबाइल फोन देखने में मशगूल
पूरे दिन स्कूल जाने के बाद भी बच्चे मैदान के अभाव में छुट्टी के समय खेल नहीं पाते हैं. नतीजतन, यह सच है कि बच्चे स्कूल से घर आने के बाद अपना ज्यादातर समय या तो मोबाइल या टीवी पर सीरियल देखने में बिताते हैं.
* चिखलदरा तहसील में 78 स्कूल बिना मैदान के
चिखलदरा तहसील में 200 से अधिक जिला परिषद शाला है. 78 स्कूलों के पास अपना मैदान नहीं है. वहीं सरकार और प्रशासन यहां के आदिवासी छात्रों के विकास के लिए कई तरह की योजनाएं लागू करती है. लेकिन मेलघाट जैसे इलाके अभी भी इन सुविधाओं से दूर हैं. हालांकि यहां के छात्र खेलों में निपुण हैं, लेकिन आउटडोर खेलों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें अवसर नहीं मिल पाता है.

फिटनेस के लिए फील्ड की जरूरत होती है. खेलने की उम्र में बच्चों में बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ व्यक्तित्व का भी विकास होता है। विद्यार्थी अवस्था में ही बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ शारीरिक फिटनेस और मजबूत शरीर के लिए क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
– डॉ. भावना पुरोहित, मनोचिकित्सक,इर्विन

30 तारीख तक रिपोर्ट आ जाएगी
जिला परिषद के 397 स्कूलों में मैदान नहीं हैं, लेकिन बच्चों के खेलने के लिए विकल्प के तौर पर ग्राम पंचायत और अन्य सरकारी जगहों का इस्तेमाल किया जाता है. शिक्षा विभाग सरकारी मैदान के लिए प्रयास कर रहा है. 30 जून तक सभी स्कूलों की जानकारी मिल जाएगी. सभी स्कूलों की यूआइडी चालू है.
-बुद्धभूषण सोनोने,
शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक)

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