सुकली कंपोस्ट डेपो में जमा है 4.51 लाख टन कचरे का ढेर
19 करोड़ से साकार होगा बायोमायनिंग प्रकल्प
* 6 मई को खोली जाएगी निविदा
अमरावती/दि.28– सुकली कम्पोस्ट डेपो में करीबन 4 लाख 51 हजार 580 घनमीटर कचरा जमा है. यहां की कचरा जमा करने की मर्यादा पूरी होेने से वहां घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प कार्यान्वयन को दिक्कतें निर्माण हुई है. जिसके चलते इस प्रकल्प के कार्यान्वयन से पूर्व जमा किये गए कचरे पर बायोमायनिंग करना अनिवार्य माना जा रहा है. इस पार्श्वभूमि पर सुकली कंपोस्ट डेपो के बायोमायनिंग प्रकल्प के लिए निविदा बुलाई गई है. जमा किए गए कचरे पर बायोमायनिंग प्रक्रिया होकर जब तक घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा, इससे पहले बायोमायनिंग कर कचरे का बंदोबस्त किया जाएगा.
महानगरपालिका की स्थापना से शहर का कचरा सुकली कंपोस्ट डिपो में जमा किया जाता है. इसलिए वहां अधिक मात्रा में कचरा जमा होने के साथ ही प्रदूषण सहित अन्य समस्याएं भी बढ़ी है. जिसके चलते वहां पर घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प बनाया जा रहा है. लेकन वहां का कचरा कम होने की बजाय दिनोंदिन बढ़ते जाने से प्रकल्प के लिए कचरा भूमि कचराविरहित करने का आव्हान पालिका के सामने था. जिस पर उपाय के रुप में वहां के कचरे के ढेर पर बायोमायनिंग प्रक्रिया कर वहां कचरा जमा करने सहित प्रकल्प बनानेके लिए जगह की पुनर्प्राप्ती की जाएगी.दरमियान बायोमायनिंग करने के लिए महापालिका ने गत वर्ष पीएमसी प्रोजेक्ट मॅनेजमेंट कन्सल्टंट नियुक्त की थी. उनकी रिपोर्ट के अनुसार सुकली कंपोस्ट डेपो में 4,51,580 घनमीटर कचरा जमा है. जिसका बायोमायनिंग करने के लिए 420 रुपए घनमीटर के अनुसार 18 करोड़ 96 लाख 63 हजार 600 रुपए खर्च अपेक्षित है. निविदा बुलाई गई है.
* हरित लवादा में प्रतिज्ञा पत्र
सुकली के कचरा डेपो के कारण निर्माण हुई समस्या बाबत हरित लवादा में दाखल की गई एक याचिका पर सुनवाई के दरमियान पालिका ने डेपो के कचरे का बायोमायनिंग पद्धति से बंदोबस्त किया जाएगा. ऐसा प्रतिज्ञा पत्र दिया है. इसके लिए तुरंत निविदा प्रक्रिया चलाई गई है. यहां के पांच लाख मेट्रिक टन कचरे का बंदोबस्त कर वहां की जगह खाली की जाएगी. बायोमायनिंग प्रक्रिया में कचरे का विलगीकरण कर प्रक्रिया होकर योग्य कचरे से खाद व जलाऊ ईंधन तैयार किया जाएगा. जिस कचरे पर प्रक्रिया नहीं होती, ऐसे पत्थर, चिनी मिट्टी के बर्तन व पुनर्प्रक्रिया न होने वाला कचरा इसी डेपो परिसर की जगह में मिलाया जाएगा. अमरावती महानगरपालिका प्रशासन के लिए बायोमायनिंग प्रक्रिया प्रकल्प पूरा करने का आव्हान है.
* बायोमायनिंग यानि क्या?
बायोमायनिंग प्रक्रिया यानि अनेक वर्ष जमा कचरे से निर्माण हुई मिट्टी व न मिलने वाला कचरा अलग करना है. कचरे से निर्माण हुई मिट्टी का खाद के रुप में इस्तेमाल करने व न घुलने वाले कचरे का इस्तेमाल कर खान व बड़े गड्ढे बुझाकर जगह पुनः इस्तेमाल करने में लाना होता है. इसके लिए विशिष्ट रसायन का इस्तेमाल किया जाता है.
सुकली कंपोस्ट डेपो की कचरा जमीन की पुनःप्राप्ति करने के लिए बायोमायनिंग प्रकल्प आवश्यक है. जिसके चलते तुतरंत इसके लिए निविदा प्रक्रिया की गई है.
– डॉ. प्रवीण आष्टीकर, मनपा आयुक्त