* अनेक संचालकों में रोष, शाला बेचने तैयार
अमरावती/दि.19– शिक्षा का अधिकार अंतर्गत 25 प्रतिशत प्रवेश अनिवार्य किए गए हैं. दूसरी तरफ चार वर्षो से आरटीई के 40 करोड बकाया है. जिले की 236 निजी शालाओं का उरोक्त बकाया होने का दावा कर कहा गया कि संचालकों में असंतोष है. कुछ ने अपनी शालाएं दूसरों को दे देने की तैयारी की है. ऐसे में शिक्षाधिकारी बुद्धभूषण सोनोने का सनसनीखेज बयान आया है. सोनोने ने कहा कि सरकार से 100 रुपए मांगो तो 5 रुपए मिलते हैं. इस तरह की अवस्था होने का सोनोने का कहना है.
* 63 करोड थे बकाया
जिले की 236 शालाओं में प्रति विद्यार्थी 17410 रुपए सरकार से लेना है. यह रकम 63303960 रुपए होती है. सरकार ने 22 करोड 32 लाख रुपए चुका दिए हैं. इस बार फिर 51 लाख रुपए आरटीई के तहत प्राप्त हुए हैं. आरटीई में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी के अधबीच में दूसरी शाला में चले जाने पर जगह रिक्त रहती है और उससे शाला का नुकसान होता है.
* शालाएं संकट में
मेस्टा संगठन के अनिल आसलकर ने दावा किया कि सरकार की तरफ बडा बकाया रहने से निजी शालाएं आर्थिक संकट से जूझ रही है. अध्यापकों के वेतन में भी दिक्कत जा रही है. शाला की प्रगति पर भी इसका प्रभाव होने का दावा आसरकर ने किया.
* सोनोने का बयान
उधर शिक्षाधिकारी (प्राथमिक) बुद्धभूषण सोनोने ने कहा कि सरकार को 100 रुपए मांगे तो 5 रुपए मिलते है, ऐसी स्थिति है. जिससे बकाया बढ रहा है. निजी स्कूलों की आर्थिक अडचने बढी है. सोनोने ने कहा कि आरटीई अंतर्गत शालाओें को फंड दिलाने सरकार के पास सतत फालोअप लिया जा रहा है. सोनोने के इस बयान पर कुछ लोगों ने हैरानी जताई कि एक अधिकारी कैसे कह सकते हैं कि सरकार से 100 मांगो तो 5 मिलते हैैं?