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40 फीसद कर वृद्धि हुई खत्म

निगमायुक्त ने बीती शाम जारी किया आदेश

* कांग्रेस के दबाव व आंदोलन ने किया काम
* मनपा प्रशासन को फैसला बदलने पर होना पड़ा मजबूर
अमरावती/दि.8- गत रोज संपत्ति कर की दरों में की गई 40 फीसद की वृद्धि के खिलाफ शहर कांग्रेस कमिटी ने निगमायुक्त प्रवीण आष्टीकर का घेराव करते हुए संपत्ति कर की दरें बढ़ाए जाने का निषेध किया था और इस फैसले को तत्काल वापस लिये जाने की मांग की थी. जिसके बाद निगमायुक्त प्रवीण आष्टीकर ने शाम तक इस बारे में कोई फैसला लेने का आश्वासन दिया था. जिसके चलते कांग्रेस पदाधिकारियों ने अपना आंदोलन पीछे ले लिया था. पश्चात आयुक्त आष्टीकर ने शब्दों पर खरा उतरते हुए देर शाम संपत्ति कर में की गई दरवृद्धि को वापस लेने से संबंधित आदेश जारी किया. जिसमें कहा गया कि सरकारी निर्णय के अधीन रहते हुए मनपा प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर इस दरवृद्धि को वापस लिया जा रहा है.
बता दें कि गत रोज शहर कांग्रेस कमिटी के पदाधिकारियों ने निगमायुक्त प्रवीण आष्टीकर का घेराव करते हुए आरोप लगाया था कि मनपा के पिछले सदन का कार्यकाल खत्म होने के बाद जैसे ही मनपा में प्रशासक राज शुरु हुआ, वैसे ही मनपा प्रशासन ने संपत्ति कर की दरों में 40 फीसद की भारीभरकम वृद्धि करने का निर्णय लिया. जिसका कांग्रेस द्वारा शुरु से विरोध किया जा रहा है और कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ विगत 10 अक्तूबर को आंदोलन करने की चेतावनी दी, जिसे ध्यान में रखते हुए 9 अक्तूबर को अमरावती की जिला नियोजन समिति की बैठक में शामिल होने हेतु आये जिला पालकमंत्री व राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने इस दरवृद्धि को स्थगिती देने का मौखिक आदेश दिया था. लेकिन मनपा को इस संदर्भ में कोई लिखित आदेश नहीं मिला. ऐसे में मनपा द्वारा बढ़ी हुई दरों के हिसाब से ही नागरिकों को संपत्ति कर देयक दिये जा रहे हैं. यह सीधे-सीधे नागरिकों के साथ धोखाधड़ी है. ऐसे में अगर इस दरवृद्धि को तुरंत वापस नहीं लिया जाता है, तो कांग्रेस द्वारा निगमायुक्त कार्यालय के भीतर ठिया आंदोलन जारी रखा जायेगा.
पश्चात कांग्रेस पदाधिकारियों के इस रुख को देखते हुए निगमायुक्त आष्टीकर ने तुरंत ही इस दरवृद्धि को वापस लेने का आश्वासन दिया था और इस संंदर्भ में आदेश जारी करने हेतु शाम तक का समय मांगा था. जिसके चलते कांग्रेस पदााधिकारियों ने अपने आंदोलन को पीछे लिया था.
जिसके उपरांत अपने वादे पर खरा उतरते हुए मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर ने सोमवार की देर शाम अपने स्तर पर एक आदेश जारी किया. जिसमें सरकारी निर्णय के अधीन रहकर अपने स्तर पर संपत्ति कर में की गई 40 फीसदी की दरवृद्धि को वापिस किए जाने का निर्णय घोषित किया गया. ऐसे में शहर कांग्रेस के पदाधिकारियों ने इसे अपनी लडाई की एक बडी जीत बताया हैं, साथ ही कहा है कि विगत माह उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व्दारा जारी किए गए मौखिक आदेश के बाद भाजपाईयों ने इसे लेकर जमकर खुद की पीठ थपथपाई थी. लेकिन विगत एक माह से जब यह मसला अधर में अटका हुआ था तो किसी के मुंह से कोई  बोल नहीं फूट रहा था. वहीं कांग्रेस विगत एक माह से इस विषय को लेकर लगातार मुखर थी और कांग्रेस व्दारा किए गए प्रयासों के चलते ही आज मनपा प्रशासन को अपने व्दारा की गई संपत्ति कर की दरवृद्धि को पीछे लेने पर मजबूर होना पडा हैं.
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सरकारी फैसले के तहत लिया निर्णय
इस संदर्भ में जानकारी और प्रतिक्रिया देते हुए मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर ने बताया कि, उन्होंने संपत्ति कर में दरवृद्धि को सरकारी निर्णय के अधीन रहते हुए वापिस लेने का फैसला लिया हैं. इसके तहत संपत्ति कर के देयकों में समान्य कर की राशि में 40 फीसदी की कटौती की जाएगी. वहीं उपयोगकर्ता शुल्क व स्वच्छता शुल्क जैसे लेखाशीर्षो के तहत कोई बदलाव नहीं किया गया हैं. जिन संपत्तिधारको को इससे पहले संपत्ति कर के देयक जारी हो चुके है वे वृद्धिंगत कर की रकम काटकर शेष राशि का भुगतान कर सकते हैं.
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कांग्रेस के आंदोलन की सफलता
गत रोज कांगे्रस के पदाधिकारियों व्दारा किए गए धरना व ठिया आंदोलन की वजह से यह सफलता प्राप्त हुई हैं. जिला पालकमंत्री फडणवीस व्दारा दिया गया आदेश मनपा प्रशासन तक पहुंचा ही नहीं था. जिसके चलते शहर में वृद्धिंगत दरों के अनुसार संपत्ति कर की वसूली हो रही थी. जिसे रोकने हेतु हमें आक्रमक भूमिका अपनानी पडी और हमारे व्दारा किए गए आंदोलन के चलते अंतत: मनपा प्रशासन को झुकना पडा.
– बबलू शेखावत, कांग्रेस शहराध्यक्ष

कांगे्रस की आक्रामक भूमिका काम आई
मनपा आयुक्त व्दारा संपत्ति कर की दरों में 40 फीसदी वृद्धि करने का निर्णय किया गया था. जिसे वापीस लेने हेतु हमने लगातार प्रयास किए. मनपा की आय बढना चाहिए इस बात से हम भी सहमत हैैं, लेकिन इसके लिए जनता पर एकदम से वृद्धिंगत कर का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए. कोई भी इसके लिए तैयार नहीं था ऐसे में हमने इस दरवृद्धि को वापिस लेने हेतु तीव्र व आक्रमक भूमिका अपनाई. जिसके चलते मनपा प्रशासन को अपना फैसला बदलने पर मजबूर होना पडा.

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