जिले में 40 महिलाओं को ‘मनोधैर्य’ के तहत मिली 54 लाख रुपयों की मदद
जिला विधि सेवा प्राधिकरण की पहल, सन 2013 से हो रहा योजना पर अमल
अमरावती/दि.24– बलात्कार, बच्चों पर होने वाले लैंगिक अत्याचार व एसिड मामले का शिकार होने वाले युवतियों, महिलाओं व नाबालिग बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए उनका पुनर्वसन करने हेतु मनोधैर्य योजना चलाई जाती है. इस योजना पर समूचे राज्य में 2 अक्तूबर 2013 से अमल करना शुरु किया गया है. इस योजना के तहत पीडितों को 2 से 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. जिसके तहत अमरावती जिले मेें जारी वर्ष के दौरान 40 महिलाओं को 54 लाख रुपए की मदद प्रदान की गई.
अपराधियों को गंभीर सजा दिलाया आवश्यक रहने के साथ ही अपराध का शिकार रहने वाली पीडिताओं और बच्चों को उनकी प्रतिष्ठा व सम्मान के साथ ही आत्मविश्वास वापिस दिलाना ही बेहद जरुरी होता है. ऐसे अपराधों का शिकार रहने वाले लोगों को मानसिक आघात से बाहर निकालने हेतु प्रयास करने व वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही समूपदेशन, निवास तथा कानूनी व वैद्यकीय सहायता तत्परता के साथ उपलब्ध कराने का काम किया जाता है.
* क्या है मनोधैर्य योजना?
बलात्कार, बच्चों पर लैंगिक अत्याचार व एसिड हमला जैसी घटनाओं का शिकार होने वाली महिलाओं व बच्चों तथा उनके वारिसदारों को तत्काल आर्थिक मदद व मानसोपचार विशेषज्ञ की सेवाएं उपलब्ध करवाने हेतु मनोधैर्य योजना चलाई जाती है. जिस पर वर्ष 2013 से अमल किया जा रहा है.
* 5 वर्ष में करोडों रुपयों की मदद वितरीत
इस योजना के अंतर्गत बलात्कार व बच्चों पर अत्याचार जैसे मामलों में पीडितों को कम से कम 2 लाख रुपए और विशेष मामलों में 3 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाती है. इस योजना के तहत विगत 5 वर्ष के दौरान कई पीडितों को करोडों रुपयों की सहायता प्रदान की गई है.
* सखी वन स्टॉप सेंटर में प्रभावी समूपदेशन
पारिवारिक व अत्य हिंसाचार से पीडित महिलाओं एवं संकटग्रस्त महिलाओं को सखी वन स्टॉप सेंटर में सखी सहेली की तरह हर तरह की मदद प्रदान की जाती है.
* 10 माह में 40 महिलाओं को 54 लाख की मदद
जिला विधि सेवा प्राधिकरण द्वारा किए जाते सतत प्रयासों के चलते जारी वर्ष में जनवरी से अक्तूबर इस 10 माह के दौरान 40 मामलों में पीडिताओं को 54 लाख 85 हजार रुपए मंजूर किए गए. जिसमें से अधिकांश पीडित महिलाएं है.
* किसी भी अत्याचार का शिकार रहने वाली पीडित महिलाओं व नाबालिग बच्चों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें उनकी प्रतिष्ठा पर आत्मविश्वास वापिस दिलाना यह मनोधैर्य योजना का प्रमुख उद्देश्य है.
– जी. आर. पाटिल,
सचिव, जिला विधि सेवा प्राधिकरण