6 साल में विदेश में 403 विद्यार्थियों की मौत
3 साल में 23 हजार से अधिक भारतीय देश लौटे
अमरावती/दि.30 – पिछले कुछ दिनों में विदेश में भारतीय विद्यार्थियों पर हो रहे हमलों की पृष्ठभूमि पर उनकी सुरक्षा का प्रश्न निर्माण हो गया है. भारतीय विद्यार्थियों की सुरक्षा की तरफ विदेश मंत्रालय का लगातार ध्यान रहा तो भी पिछले 6 साल में शिक्षा के लिए विदेश में गये 403 भारतीय विद्यार्थियों की विविध कारणों से मृत्यु हुई है, यह बात आंकडेवारी से स्पष्ट होती है. विशेष यानी पिछले तीन साल में 23 हजार से अधिक भारतीयों को देश वापस लाया गया है.
विदेश में उच्च शिक्षा के लिए जानेवाले विद्यार्थियों को सरकार की तरफ से छात्रवृत्ति अथवा तत्सम प्रकार की सहायता की जाती है. लेकिन उन्हें अनेक बार सुरक्षा के मुद्दों की तरफ अनदेखी हुई दिखाई देती है. विदेश मंत्रालय द्बारा घोषित की गई आंकडेवारी के मुताबिक नैसर्गिक संकट, दुर्घटना और स्वास्थ्य समस्या सहित अन्य कारणों से 2018 से विदेश में भारतीय विद्यार्थियों की मृत्यु की घटना 403 घटित हुई है. सर्वाधिक 91 मृत्यु कैनडा में हुई है. पश्चात 48 ब्रिटेन, 40 रशिया, 36 अमेरिका, 35 आस्ट्रेलिया, 21 युक्रेन, 20 जर्मनी और 10 लोगों की इटली में मृत्यु हुई है. इस कालावधि में 34 देशों में भारतीय विद्यार्थियों की मृत्यु हुई है. विद्यार्थियों की सुरक्षा का प्रश्न फरवरी में संसद अधिवेशन में चर्चा में आया था. विद्यार्थियों की सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने हमेशा तत्काल कदम उठाए. संकट में रहे विद्यार्थियों को तत्काल वापस लाने के लिए विशेष अभियान चलाया रहने की जानकारी भी विद्यार्थी नेता वैभव बावनकर ने दी है. पिछले तीन साल में संकट में रहे विद्यार्थियों सहित 23 हजार 906 भारतीय नागरिकों की विदेश से रिहाई की गई. इसमें महाराष्ट्र के 1470 नागरिकों का समावेश हैं.
* सरकार की उपाय योजना
– विद्यार्थियों का पंजीयन रखने के लिए विशेष अभियान.
– प्रवेश लिए विद्यापीठ से मिशन के अधिकारी संपर्क में
– सहायता पोर्टल के माध्यम से विद्यार्थियों की शिकायतों पर कार्रवाई.
– संकट के समय आवश्यक सभी सहायता. आवश्यकता पडने पर घर वापसी के लिए अभियान