अमरावती

42 लाख की धोखाधडी

हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट प्रशिक्षण के नाम पर लूट

अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट व रिटेल मार्केटींग वार्डबॉय का प्रशिक्षण देने के लिए चुनी गई संस्थाओं के संचालकों ने ही धारणी के एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प कार्यालय को 42 लाख 50 हजार रुपए से चुना लगाया. इस मामले में दोनों के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज किया है.
रमेश शिवाजीराव जाधव (40, नाथपुरम, औरंगाबाद) व अंगद साहेबराव जाधव (39, पैठन रोड, औरंगाबाद) यह धोखाधडी समेत अपहार व विश्वासघात मामले में अपराध दर्ज हुए संस्था चालकों के नाम है, ऐसा पुलिस ने बताया. अंगद जाधव जानता राजा मल्टीपर्पज चैरिटेबल ट्रस्ट औरंगाबाद, हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट प्रशिक्षण संस्था के अध्यक्ष रहने की बात पुलिस ने कही. रमेश जाधव यह श्रीमंत महाराज माधवराव सिंधिया फाउंडेशन औरंगाबाद व रिटेल मार्केटिंग प्रशिक्षण संस्था के अध्यक्ष है. इसके अलावा क्रांतिज्योती प्रमिलाबाई चव्हाण महिला मंडल, परभणी कार्यालय औरंगाबाद, इस संस्था के अधिकार पत्र रमेश जाधव ने हासिल कर 2013-14 में कौशल्य विकास योजना अंतर्गत दिये जाने वाला हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट रियल मार्केटिंग वार्डबॉय का प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव पेश किया. एकात्मिक आदिवासी विकास विभाग प्रकल्प कार्यालय धारणी के पास से 42 लाख 50 हजार रुपए रकम का काम मिलना चाहिए, इसके लिए संस्था का चयन प्रस्ताव दस्तावेज के साथ प्रादेशिक संचालनालय रोजगार व प्रशिक्षण मुंबई की ओर से दिये जाने वाला फर्जी व्यावसायीक प्रशिक्षण प्रदाता प्रमाणपत्र तैयार किया और प्रस्ताव धारणी कार्यालय को पेश किया. महत्वपूर्ण बात यह कि माधवराव सिंधिया फाउंडेशन औरंगाबाद के सचिव शैलेश अंभोरे यह 14 जुलाई 2014 को मृत हुए रहते हुए भी उनके नाम से 19 जुलाई 2014 को 100 रुपए के मुद्रांक पर उनके झूठे हस्ताक्षर किये और नियम व शर्ते भी पेश की. आदिवासी प्रशिक्षणार्थी का फर्जी नियुक्ति पत्र तेैयार कर प्रकल्प कार्यालय धारणी में पेश किया. मिलीभगत कर स्वयं के आर्थिक फायदे के लिए धारणी प्रकल्प कार्यालय के साथ धोखाधडी की. प्रकल्प कार्यालय धारणी स्थित किशोर बालू पटेल ने धारणी पुलिस में शिकायत दी. तब इस मामले में अपराध दर्ज हुआ.

  • नियुक्ति पत्र भी निकला फर्जी

इस योजना के नियम व शर्तों के अनुसार 20 प्रतिशत प्रशिक्षणार्थियों को नोटीस देना बंधनकारक था. किंतु प्रत्यक्ष में ऐसा न करते हुए डॉक्टरों के नाम से फर्जी नौकरी का नियुक्ति पत्र व वेतन का प्रारुप सरकार के पास पेश करने की बात जांच में प्रकाश में आयी.

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