* देशभर का आंकडा 150
अमरावती/दि.28– दस माह में महाराष्ट्र में 42 और देश में 150 बाघों की विविध काराणों से मृत्यु हो गई. जिससे वन्यजीव प्रेमी उद्विग्न हो गए हैं. वरिष्ठ वन्यजीव अभ्यासक यादव तरटे पाटिल ने कहा कि प्रत्येक बाघ की मौत की तह में जाना आवश्यक है. 20 प्रतिशत मृत्यु विद्युताघात के कारण हुई है. जानकारों ने बताया कि आंकडे चिंताजनक है. 2013 में देश में 68 बाघों की मृत्यु हुई थी. 10 वर्षो मेंं यह आंकडा दोगुना हो गया है. हालांकि राष्ट्रीय बाघ संवर्धन प्राधिकरण की वेबसाइट पर अभी भी इस वर्ष काआंकडा देश में 148 और महाराष्ट्र में 32 दर्ज है.
* जिम्मेदारी किसकी?
नियोजन का आभाव, विभाग प्रमुख की प्रशासन पर ढीली होती पकडको बाघों की मृत्यु का जिम्म्दार बताया जाता है. किंतु वन विभाग और ग्रामीणों के बीच दूत के रुप में नियुक्त मानद वन्यजीव रक्षक और राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य क्या अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहे हैं. यह देखना जरुरी होने की बात वन्यजी प्रेमी कर रहे हैें.
* नियंत्रण के लिए क्या किया
यादव तरटे पाटिल ने कहा कि 2013 में मेलघाट में बाघ के शिकार की घटनाएं उजागर हुई थी. उपरांत वन्यजीव अपराध शाखा स्थापित हुई. उसका फायदा हुआ. नागपुर प्रादेशिक वन विभाग के उपवन संरक्षक डॉ. भारत हाडा के नेतृत्व में बाघों की मृत्यु के अनेक प्रकरण सामने आए हैं. उसकी जांच हुई है. ऐसा ही काम राज्य में होना चाहिए. जिससे बाघों की बढती मृत्यु की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकें.