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4235 करोड का हिसाब नहीं

आरटीआई कार्यकर्ता कानव का दावा

* हाईकोर्ट में मांगा है संभागायुक्त से 8 जनवरी को उत्तर
* मामला पालिका और पंचायतों की ऑडिट त्रुटि का
* और भी धमाका करेंगे शेखर कानव
अमरावती/दि.4- अमरावती विभाग की विभिन्न पालिका और नगर पंचायतों के ऑडिट में नवंबर 2023 तक 4235 करोड का हिसाब बाकी रहने का दावा आरटीआई कार्यकर्ता शेखर कानव ने किया है. कानव की जनहित याचिका पर बंबई हाईकोर्ट ने राज्य के शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव और अमरावती के विभागीय आयुक्त को नोटीस जारी की है. नोटीस का उत्तर अगली सुनवाई को अर्थात 8 जनवरी को देना है. इस बीच कानव ने दैनिक अमरावती मंडल से बातचीत में दावा किया कि ऑडिट की रिपोर्ट के अनुसार उपरोक्त राशि का हिसाब नहीं मिल रहा है. फिर भी किसी भी अधिकारी या कर्मी पर कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि विभिन्न हेड पर रकम दी गई. किंतु उसका हिसाब नहीं रखा गया. ऑडिटर को जरुरी बिल, वाऊचर उपलब्ध नहीं कराए गए. ऑडिटर व्दारा बार-बार अंकेषण में त्रुटियां निकालने पर भी प्रधान सचिव या विभागीय आयुक्त ने कोई कार्रवाही नहीं की, इस प्रकार का आरोप ने कानव ने अपनी याचिका में किया है. कानव अमरावती से संबंधित एक बडी धार्मिक संस्था को लेकर भी बडा धमाका शीघ्र करने वाले है.
उल्लेखनीय है कि कानव की अर्जी पर बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने संभागायुक्त को नोटिस जारी किया है. यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता शेखर कानव ने दी. उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी किया है. जिसके अनुसार विभागीय आयुक्त को आगामी 8 जनवरी की सुनवाई पर अपना उत्तर दाखिल करना है.
* त्रुटियों को सुधारना आवश्यक
न्या. नितिन सांबरे और न्या. वैशाली जोशी ने अंतरिम आदेश जारी किया है. जिसमें कहा गया कि अमरावती विभाग की स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में ऑडिट में उठाई गई आपत्तियां दुरूस्त नहीं की गई. वर्ष 2018-19 में एक भी आपत्ति का अनुपालन नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि इन संस्थानों के वित्तीय लेन- देन पर ध्यान देना विभागीय आयुक्त की जिम्मेदारी है. यदि यह सच है तो सार्वजनिक पैसों का बडे पैमाने पर दुरूपयोग हो रहा है.
पालिका और पंचायतों में गडबड झाला
कानव ने दावा किया कि अमरावती, अकोला, वाशिम, यवतमाल, बुलढाणा जिले की अनेक पालिका तथा नगर पंचायतों के वित्तीय मामलों में कथित कदाचार चल रहा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद विभागीय आयुक्त को मामले पर गंभीरता से ध्यान देने और 8 जनवरी तक उत्तर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.
नहीं की ठेकेदारों और कर्मियों से वसूली
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि संबंधित जिलाधिकारी और विभागीय आयुक्त कार्यालय को ऑडिट रिपोर्ट की त्रुटियों की संपूर्ण जानकारी होती है. दोनों कार्यालयों से कुछ समय पश्चात संंबंधित स्थानीय निकाय को पत्र भेजा जाता है. अनुपालन हेतु परिपत्र भी जारी किए जाते हैं. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती. मामले में संलिप्त कर्मचारियों को निवृत्त कर दिया जाता है. सभी वित्तीय लाभ और सेवा निवृत्ति वेतन उन पर लागू होते हैं. लेकिन उनसे वसूली योग्य राशि कभी वसूल नहीं की जाती. उसी प्रकार आरोप है कि संबंधित कर्मचारी से बकाया रकम वसूली में भी नगर परिषदों और नगर पंचायतो ने जानबूझकर कोताही बरती. इतना ही नहीं तो ठेकेदारों से जीएसटी और अन्य टैक्स की वसूली भी नहीं की गई. उल्टे ठेकेदारों के बिल ले दे कर पास कर दिए गए. कानून और नियमों की धज्जीयां उडाते हुए सरचार्ज लेने थे, वह भी नहीं लिए गए.
कानव ने दावा किया कि सूचना के अधिकार के तहत उन्हें दी गई स्थानीय निधी लेखा परीक्षण के सहसंचालक की जानकारी के अनुसार 5 जिलों की पालिका और पंचायतों में मई 2023 तक 4235 करोड से अधिक का हिसाब नहीं मिल पाया. जबकि कुछ हजार की संपत्ती कर या बिजली बिल बकाया रहने पर यही पालिकाएं और बिजली कंपनी आम उपभोक्ताओं पर कनेक्शन कट करने जैसी कडक कार्रवाई करती है.
अमरावती, अकोला ने नहीं दिया जवाब
शेखर कानव ने दैनिक अमरावती मंडल को यह भी बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत अमरावती और अकोला महापालिका से भी अंकेषण के बारे में जानकारी मांगी थी. दोनों ही मनपा ने जानकारी देने से ही मना कर दिया. कानव ने दावा किया कि गत 1 वर्ष में यह हिसाब का मामला और बढ गया होगा.

 

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