अमरावती/दि.25 – शालेय विद्यार्थियों के सर्वांगिण विकास के लिए शाला में शिक्षा के साथ खेल भी होते है. लेकिन जिले की 428 शालाओं में खेल के स्वतंत्रत मैदान ही उपलब्ध नहीं है. अनेको के पास पूरा खेल साहित्य भी न रहने से विद्यार्थियों का खेल की तरफ चाहिए वैसी रुची दिखाई नहीं देती. इस कारण आज की स्पर्धा के युग में खेलों में प्राविण्य प्राप्त करने के साथ शारीरिक विकास कैसे किया जाएगा? ऐसा सवाल अब खेल प्रेमी पालक उपस्थित कर रहे है.
विद्यार्थियों के सर्वांगिण विकास के लिए शाला में शिक्षा के साथ खेल भी कराए जाते है. इसके लिए प्रत्येक शाला के पास वैसे मैदान और विद्यार्थियों के लिए संबंधित खेल का साहित्य उपलब्ध रहना आवश्यक है. लेकिन जिले की 428 जिला परिषद सहित अन्य शालाओं में खुद का स्वतंत्र मैदान नहीं है. इस कारण वहां मौजूद खुली जगह पर क्रीडा शिक्षक विद्यार्थियों को अलग-अलग खेल खिलाते दिखाई देते है. इस तरह की स्थिति जिले की अनेक तहसीलों में देखने मिलती है. अनेक स्थानों पर गांव में खेल के मैदान तो कहीं आवश्यक खेल का साहित्य न रहने से खेल प्रेमी विद्यार्थियों को असुविधा होती दिखाई देती है. विशेष यानी जिले की अनेक शालाओं में क्रीडा शिक्षकों के पद भी रिक्त है. इसी कारण ग्रामीण इलाकों में अच्छे खिलाडी तैयार नहीं होते ऐसा खेल प्रेमी पालकों का कहना रहता है. इस कारण शासन तथा प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधियों व्दारा इस गंभीर और महत्वपूर्ण विषय की तरफ ध्यान देने की मांग होने लगी है. विद्यार्थियों में खेल के प्रति रुची निर्माण हुई तो मोबाइल से विद्यार्थी कुछ समय के लिए दूर हो सकते है. साथ ही ग्रामीण इलाकों से अच्छे खिलाडी भी तैयार हो सकते है.
तहसीलनिहाय जहां मैदान नहीं है
तहसील मैदान न रहे शालाओं की संख्या
अमरावती 34
अचलपुर 44
भातकुली 23
चांदुर बाजार 52
चिखलदरा 77
दर्यापुर 13
मोर्शी 18
धारणी 31
तिवसा 09
वरुड 07
नांदगांव खंडेश्वर 29
अंजनगांव सुर्जी 36
चांदुर रेलवे 04
धामणगांव रेलवे 15