* नियमित जलापूर्ति में मजीप्रा साबित हुआ है नाकाम
अमरावती/दि.8– किसी समय महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा अमरावती शहर को रोजाना 24 घंटे जलापूर्ति करने का अभिवचन दिया गया था. किंतु धीरे-धीरे जलापूर्ति का समय घटने लगा और अब तो स्थिति यह है कि, जीवन प्राधिकरण द्वारा अमरावती शहरवासियों को एक-एक दिन की आड में पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं विगत गरमी के मौसम में जीवन प्राधिकरण का यह नियोजन भी अनेकों बार गडबडाया, जब जलापूर्ति करनेवाली पाईपलाईन में लिकेज होने की वजह से अमरावती शहर में दो बार पांच से सात दिन तक जलापूर्ति ठप्प रही. वहीं अब बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही अप्पर वर्धा बांध में 45 फीसद जलसंग्रहण हो चुका है. लेकिन अब भी जीवन प्राधिकरण में नियोजन का अभाव रहने के चलते जलापूर्ति में बडे पैमाने पर अनियमितताएं है और शहरवासी अब भी अनियमित जलापूर्ति की त्रासदी को भुगतने के लिए मजबूर है.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर को जलापूर्ति करने की जिम्मेदारी रहनेवाले जीवन प्राधिकरण द्वारा करीब 55 किमी दूर स्थित अप्पर वर्धा यानी नल-दमयंती बांध से अमरावती शहर को जलापूर्ति की जाती है. शुरूआती दौर में मजीप्रा के नलों से चौबीसों घंटे पानी आया करता था, लेकिन बाद में जीवन प्राधिकरण ने शहर के अलग-अलग इलाकों के लिए जलापूर्ति हेतु अलग-अलग समय निर्धारित कर दिये, ताकि जलापूर्ति करने हेतु डाली गई भूमिगत पाईपलाईन पर पानी का अनावश्यक दबाव घटाया जा सके. लेकिन इसके उपरांत कुछ वर्ष पहले पानी की किल्लत रहने की वजह को आगे करते हुए जीवन प्राधिकरण ने अमरावती शहर को दो विभागों में विभाजीत कर दिया और रोजाना की बजाय अलग-अलग विभागों में एक-एक दिन की आड लेते हुए जलापूर्ति करनी शुरू की गई. इसके तहत हर एक दिन की आड में अब शहर के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग समय पर ढाई से तीन घंटे के लिए नलों से पानी छोडा जाता है, लेकिन इसमें भी मजीप्रा का भेदभावपूर्ण रवैय्या सामने आया है. जानकारी के मुताबिक शहर के संभ्रांत इलाकोें में तो जलापूर्ति करने का समय कुछ अधिक है. वहीं निचली व पिछडी बस्तियोें में बेहद कम समय के लिए नलों से पानी छोडा जाता है. इसे लेकर भी शहरवासियों में महावितरण के खिलाफ अच्छा-खासा रोष व्याप्त है.
इस समय जलापूर्ति हेतु उपयोग में लायी जा रही भूमिगत पाईपलाईन काफी पुरानी हो गई है. जिसे बदलने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है. पुरानी पाईपलाईन के जरिये शहर में जलापूर्ति करने हेतु शहर को अपर झोन व लोअर झोन में विभाजीत किया गया है. कुछ इलाकों में प्रेशर कम होता है. इसमें भेदभाववाली कोई बात नहीं है. बल्कि हम शहर में रोजाना नियमित समय पर जलापूर्ति करने के लिए प्रयास कर रहे है.
– विवेक सोलंके
कार्यकारी अभियंता, मजीप्रा, अमरावती.
* जरूरत की तुलना में जलापूर्ति कम
उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर की जनसंख्या करीब 8 लाख के आसपास है. जिनके लिए रोजाना 140 दलघमी पानी की जरूरत है, लेकिन जीवन प्राधिकरण द्वारा केवल 120 दलघमी पानी की आपूर्ति की जा रही है. इसमें भी रोजाना की बजाय एक-एक दिन की आड लेकर नलोें के जरिये पानी छोडा जा रहा है. यानी हर दिन केवल 60 दलघमी पानी की ही आपूर्ति हो रही है.
* जलापूर्ति का समय भी बेहद कम
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, जीवन प्राधिकरण द्वारा हर एक दिन आड की जानेवाली जलापूर्ति के तहत केवल ढाई से तीन घंटे ही नलों से पानी छोडा जाता है. इस दौरान सभी को अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से अपने पास उपलब्ध साधनों के जरिये पानी भरना होता है. इसमें भी कई बार नल से आनेवाले पानी की धार बेहद कम होती है. ऐसे में जरूरत के हिसाब से पानी भरने में लंबा समय लग जाता है. वहीं दूसरे ओर यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि, शहर के संभ्रांत इलाकों में काफी देर तक नलों से पानी आता है. वहीं पिछली व निचली बस्तियां माने जानेवाले इलाकों में जलापूर्ति का समय बेहद कम है. इसे जीवन प्राधिकरण की भेदभावपूर्ण नीति बताते हुए नागरिकोें ने इसे लेकर अपना असंतोष जताया है.