जिले में 15 दिनों में 457 लोगों को आवारा कुत्तों ने कांटा
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रेबीज टीके की कमी

अमरावती/दि.19– जिले में श्वान दंश की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है. जिले में एक पखवाडे में करीबन 457 नागरिकों को श्वान दंश होने से शासकीय अस्पतालों में उपचार किये जाने का रिकॉर्ड दर्ज है. कुत्ता अथवा बिल्ली कांटने पर रेबीज हो सकता है. समय पर उपचार न करने पर नागरिकों की जान को खतरा भी निर्माण हो सकता है. लेकिन जिले के अनेक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रेबीज टीके की कमी दिखाई दे रही है.
फिलहाल जिले में ग्रामीण क्षेत्र सहित शहरी क्षेत्र में भारी मात्रा में आवारा कुत्तों की भरमार देखने मिल रही है. वाहन चालकों पर यह कुत्ते हमला करते रहने की अनेक शिकायतें है. सडक पर गिले कचरे में कुत्तों को आसानी से खाद्य उपलब्ध होता है. ग्रामीण क्षेत्र में जगह-जगह इस तरह का कचरा पडा रहता है. इस कारण कुत्तों की संख्या बढ रही है. सडक से गुजरने वाले वाहनों की इन कुत्तों के कारण दुर्घटनाएं भी हो रही है. इसके अलावा श्वान दंश की घटनाएं भी बढ रही है. नागरिकों पर हमला कर उन्हें कांटने की घटनाएं भी बढी है. इन आवारा कुत्तों के बंदोबस्त के लिए प्रशासन की तरफ से कोई भी उपाय योजना नहीं किये जाने से नागरिकों में रोष व्याप्त है. जिले में 1 मार्च से 15 मार्च के दौरान 457 नागरिकों को आवारा कुत्तों ने कांटा है. मनपा क्षेत्र में सबसे अधिक 230 नागरिकों को कांटने की घटना उजागर हुई है. जिला अस्पताल की आंकडेवारी से यह बात प्रकाश में आयी है.
* दो से तीन माह में बीमारी के लक्षण
बीमारी के लक्षण दो से तीन माह में दिखाई देते है. इसमें बूखार और बदनदर्द होना, वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टिम में घुसने के बाद मस्तिष्क और रीढ की हड्डी में सुजन आना, फ्यूरिअस रेबीज में मरीज का बर्ताव बदलता है. मरीज संतप्त होता है अथवा उसे पानी से डर लगने लगता है. हार्टअटैक आने से मृत्यु होना, पैरेलैटिक रेबीज में स्नायु धीरे-धीरे कमजोर होती है और मरीज कोमा में जाता है. पश्चात उसकी मृत्यु होती है. तत्काल उपचार नहीं किया, तो मरीज की जान जा सकती है.
* उचित उपचार मिला तो जान बचती है
कुत्ता अथवा प्राणी कांटने के बाद तत्काल उचित वैद्यकीय उपचार मिला, तो मरीज की जान बचती है. श्वान दंश के बाद चोटिली जगह को साबून और पानी से धोकर अस्पताल पहुंचना चाहिए.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
सीएस, अमरावती.
* 212 नागरिकों को अन्य प्राणियों ने कांटा
जिले में श्वान दंश के साथ ही बिल्ली, बंदर, चूहे तथा अन्य जंगली प्राणी कांटने की भी घटना घटित हुई है. जिले में मार्च माह में 212 नागरिकों ने अन्य प्राणी कांटने से शासकीय अस्पताल में उपचार लिया है.