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अमरावती जिले में पूरे वर्ष में 479 एट्रासिटी के मामले

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बढोतरी

* कोल्हापुर ऐसे मामलों में सबसे आगे
अमरावती/दि.28- महाराष्ट्र राज्य दिनोंदिन विकास कार्यो में आगे बढता जा रहा है, ऐसा दावा विभिन्न राजनीतिक दलों व्दारा किया जाता रहा तो भी सामाजिक विषमता अभी भी कायम रहने की बात दिखाई देती है. अनुसूचित जाति-जनजाति कानून के तहत दर्ज होने वाले मामलों में लगातार वृद्धि होती जा रही है. वर्ष 2021 की तुलना में इस वर्ष अमरावती जिले में एट्रासिटी के मामले बढे है. राज्य में ऐसे प्रकरणों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 11 प्रतिशत बढोतरी हुई है. कोल्हापुर और अमरावती में एट्रासिटी के सर्वाधिक मामले दर्ज हुए है.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर अत्याचार करना अथवा अपमान करने बाबत एट्रासिटी का मामला दर्ज किया जाता है. मिली आंकडेवारी के मुताबिक राज्य में एट्रासिटी के तहत वर्ष 2021 में नवंबर माह तक 2789 मामले दर्ज हुए थे और हर माह औसतन 254 मामले दर्ज हुए थे. इस वर्ष नवंबर तक राज्य में यह संख्या 3189 तक पहुंच गई है. इस वर्ष हर माह औसतन 290 मामले दर्ज हुए है. इनमें कोल्हापुर जिले में सर्वाधिक 836 मामले दर्ज हुए है. जबकि विदर्भ के अमरावती परिक्षेत्र में 479 मामले दर्ज है. अमरावती में भी साढे छह प्रतिशत ऐसे प्रकरणों में वृद्धि हुई है. इसके अलावा शांत परिसर से पहचाने जानेवाले नाशिक में 438 मामले दर्ज हुए है. जबकि नागपुर परिक्षेत्र में 305 मामले दर्ज हुए है. मुंबई में सबसे कम 53 मामले एट्रासिटी के दर्ज हुए है. जबकि नांदेड में यह संख्या 387 है इसके अलावा कोकण में 261 और औरंगाबाद परिक्षेत्र में 427 मामले दर्ज हुए है. सफर के दौरान रेलवे विभाग में इस तरह के 3 मामले दर्ज है.

* ऐसे है राज्य के एट्रासिटी के मामले
परिक्षेत्र दर्ज मामले (2021) दर्ज मामले (2022)
मुंबई 47 53
कोकण 213 261
नाशिक 249 438
कोल्हापुर 763 836
औरंगाबाद 417 427
नांदेड 401 387
अमरावती 429 479
नागपुर 258 305
रेलवे 2 3

* जांच की गति कब बढेगी
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा नागरी हक्क संरक्षण कानून के तहत राज्य के सैकडों प्रकरणों की जांच प्रलंबित है. 30 नंवबर तक मामले दर्ज होने के बाद भी 60 दिनों से अधिक समय बितने के बावजूद 787 प्रकरणों की जांच प्रलंबित है. राज्य के कोल्हापुर परिक्षेत्र में सर्वाधिक 172 प्रकरणों की जांच प्रलंबित है. जबकि 15 हजार 611 न्यायालयीन प्रकरण प्रलंबित है. इसमें के 12 हजार 93 मामले अनुसूचित जाति से संबंधित है.

 

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