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चुनाव परिणाम पश्चात नई सरकार के गठन हेतु 48 घंटे, अन्यथा राष्ट्रपति शासन

26 नवंबर को खत्म हो रहा मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल

* संभावित नतीजों को देखकर दोनों ओर से जमकर तैयारियां हुई शुरु
* सत्ता स्थापना में निर्दलियों की भूमिका रह सकती है निर्णायक
मुंबई/दि.22 – महाराष्ट्र की 15 वीं विधानसभा हेतु कराये गये चुनाव का नतीजा कल दोपहर तक घोषित होगा. लेकिन चुनाव परिणाम से पहले ही राज्य में राजनीतिक गतिविधियां काफी तेज हो गई है. क्योंकि विधानसभा चुनाव पश्चात बहुमत वाली स्थिति में रहने वाले गठबंधन के पास अपनी सरकार स्थापित करने हेतु 48 घंटों का समय रहेगा. यदि इन 48 घंटों के भीतर नई सरकार स्थापित नहीं हुई, तो राज्य में पिछली बार की तरह राष्ट्रपति शासन लागू होने की पूरी संभावना है. क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल आगामी 26 नवंबर को खत्म हो रहा है और यह कार्यकाल खत्म होने तक यदि नई सरकार का गठन होकर नई विधानसभा अस्तित्व में नहीं आती है, तो राज्यपाल द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की अनुशंसा की जा सकती है और उस स्थिति में नई सरकार का गठन होने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहेगा.
कल घोषित होने वाले चुनावी नतीजों को लेकर विभिन्न एजेंसियों की ओर से जारी किये गये एक्झीट पोल के मुताबिक राज्य में सत्ता स्थापित करने के लिए भी महायुति व महाविकास आघाडी के बीच जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा रहेगी. जिसके चलते सरकारके गठन में निर्दलियों की भूमिका महत्वपूर्ण व निर्णायक साबित होगी. ऐसे में निर्दलियों की ‘बार्गेनी पॉवर’ बढ जाएगी.

* होटल पॉलिटिक्स भी जमकर बढेगा
– कौन कहां ले जाएगा अपने विधायकों को?
विभिन्न एक्झीट पोल द्वारा जताये गये अनुमानों के मुताबिक यदि दोनों गठबंधनों में से किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है और सरकार बनाने में निर्दलियों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होती है, तो ऐसे समय अपने विधायकों को संभालकर एकजुट रखने और एक भी विधायक को फूटने नहीं देने की चुनौती भी राजनीतिक दलों के सामने रहेगी. ऐसी स्थिति में महाविकास आघाडी व महायुति के घटक दलों द्वारा अपने-अपने विधायकों को अन्य राज्य में ले जाकर फाइव स्टार होटलों में रखे जाने की पूरी संभावना है. जिसके तहत जहां भाजपा व महायुति द्वारा अपने विधायकों को पडोस के भाजपा शासित गुजरात राज्य ले जाया जा सकता है. वहीं कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता रहने के चलते महाविकास आघाडी के घटक दलों द्वारा अपने विधायकों को कर्नाटक ले जाय जाने की पूरी संभावना है.

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