साढे तीन साल में 487 व्याघ्र मृत्यु
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 136 तथा महाराष्ट्र में 113 घटना
अमरावती/दि. 13 – पिछले साढे तीन साल में देश में 487 बाघो की मृत्यु हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर विचार किया तो मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 136 और महाराष्ट्र में 113 बाघो की मृत्यु होने की आंकडेवारी सामने आई है. 2022 की व्याघ्रगणना के मुताबिक 3167 बाघो का पंजीयन हुआ है. व्याघ्र संवर्धन का नारा दिया जाता रहा तो भी इन बढती घटनाओं के कारण चिंता बढी है.
पिछले कुछ साल में बाघो सहित अन्य वन्य प्राणियों के अधिवास क्षेत्र में कमी आई है. छोटे इलाको में उन्हें अधिक संख्या में रहना पडता है. इस तुलना में आबादी बढ रही है. मनुष्य विकास के कारण उनके अधिवास का भी विभाजन हुआ है. इसी कारण मनुष्य और वन्यजीव के बीच संघर्ष बढने लगा है. वन्यजीव का संघर्ष, दुर्घटना, शिकार और नैसर्गिक रुप आदि विविध कारणो से बाघो की मृत्यु हो रही है. राज्य में विद्युत प्रवाह के कारण और सडक दुर्घटना में बाघो की मृत्यु बढी है. 2023 में सर्वाधिक 178 बाघो की विभिन्न राज्य में मृत्यु हुई है. इसमें महाराष्ट्र में सर्वाधिक 45, मध्य प्रदेश में 40 तथा कर्नाटक, केरल और तमिलनाडू राज्य में प्रत्येकी 14 बाघो की मृत्यु हुई थी. चंद्रपुर जिले के चिचपल्ली वनपरिक्षेत्र के मूल उपक्षेत्र के चिरोली नियत क्षेत्र अंतर्गत नलेश्वर में विद्युत प्रवाही तार का स्पर्श होने से पांच माह पूर्व बाघ की मृत्यु हुई थी. भयभीत किसानों ने तीन दिन कुल्हाडी की सहायता से टुकडे कर बाघ के अवयव जलाकर नष्ट करने का प्रयास किया था. गांव-कस्बो में ऐसी अनेक घटना सामने नहीं आती. साथ ही बाघ की दुर्घटना और शिकार की घटना भी शुरु रहने से चिंता व्यक्त होने लगी है. इस वर्ष भी शिकार की घटना सामने आने के बाद जांच शुरु की गई है.
* बाघो की मृत्यु के विविध कारण
– सडक पार करते समय होनेवाली दुर्घटना के कारण वन्यप्राणियों की मृत्यु होने की घटनाओं में बढोतरी.
– वाहनों की बढती रफ्तार, स्पीड ब्रेकर न रहने से यह दुर्घटना होती है.
– हर वर्ष की आंकडेवारी वनविभाग के पास रही तो भी जांच में वाहनों की खोज नहीं हो पाती.
– ट्रेन दुर्घटना में बाघ सहित वन्यप्राणी की मृत्यु होने की घटना घटित हुई है.
* देशभर की स्थिति
वर्ष व्याघ्र मृत्यु
2021 127
2022 121
2023 178
2024 (जून तक) 61