विदर्भ के 4 जिलों सहित राज्य के 5 जिलों को हाथीरोग का खतरा
स्वास्थ्य महकमा हुआ अलर्ट
नागपुर/दि.29– विदर्भ के चंद्रपुर, गडचिरोली, गोंदिया व भंडारा इन 4 जिलों सहित मराठवाडा के नांदेड ऐसे राज्य के 5 जिलों में इस समय हाथीरोग का खतरा मंडरा रहा है. जिसके चलते इन सभी जिलों में स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से सक्रिय हो गया है तथा राष्ट्रीय हाथीरोग निर्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत नागरिकों को घर-घर जाकर प्रतिबंधात्मक दवाईयों का वितरण करने का काम शुरु किया गया है. इस अभियान के तहत 45 हजार नागरिकों को प्रतिबंधित दवाई वितरीत करने का लक्ष्य तय किया गया है.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए स्वास्थ्यिवभाग द्वारा बताया गया कि, पूर्वी विदर्भ के भंडारा, चंद्रपुर व गडचिरोली इन तीन जिलों को डीईसी, अल्बेंडाझोल व इवरमेक्टिन नामक तीन गोलियां दी जाएगी. वहीं गोंदिया व नांदेड जिले में डीईसी व अल्बेंडाझोल नामक दो दवाएं ही दी जाएगी. प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारी बूथ तथा प्रत्येक घर पर भेंट देते हुए पूर्व निश्चित डोज के अनुसार इन दवाईयों का वितरण करेंगे.
राज्य को हाथीरोग से मुक्त करने हेतु प्रभावी आंतरक्षेत्रिय समन्वय के जरिए करीब 45 लाख 34 हजार 653 लोगों को हाथीरोग (फायलेरिया) प्रतिबंधक दवाई देने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित किया गया है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि, हाथीरोग प्रतिबंधक दवाओं को लेने से कोई दुष्परिणाम नहीं होते. यह दवाई पूरी तरह से सुरक्षित है. जिसे उच्च रक्तदाब, मधुमेह एवं संधिवात से पीडित व्यक्तियों ने लेना चाहिए. दवाई लेने के बाद संबंधित लाभार्थी को कोई दिक्कत होने पर उसकी सहायता के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम उपलब्ध रहेगी. साथ ही यह भी बताया गया कि, यह दवाई खाली पेट नहीं लेनी चाहिए और यह दवाई 2 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों, गर्भवती महिला एवं गंभीर रुप से बीमारी व्यक्ति को नहीं दी जाती है.
* कैसे होता है हाथीरोग?
क्यूलेक्स मान्सोनिया संक्रमित मच्छर द्वारा दंश मारे जाने की वजह से फायलेरिया यानि हाथीरोग नामक गंभीर बीमारी होती है. इस संक्रमण की वजह से लिम्फैटीक सिस्टिम को नुकसान पहुंचता है. जिसे प्रतिबंधित नहीं करने पर शरीर के अंगों में भारी भरकम सुजन आने लगती है. दुनिया के 19 देशों मेें हाथीरोग का पूरी तरह से निर्मूलन हो चुका है तथा 10 देश निर्मूलन के बेहद निकट है. यदि लगातार 5 वर्ष तक साल में एक बार प्रतिबंधक दवाओं का सेवन किया जाता है, तो इस बीमारी को दूर किया जा सकता है.