बहु की हत्या का प्रयास करने वाले ससुर को 5 साल का कारावास
एड.रणजीत भेटालु की सफल पैरवी
अमरावती/ दि.19 – स्थानीय न्यायालय क्रमांक 1 के न्यायाधीश एस.एस.अडकर ने बहु की हत्या का प्रयास करने वाले आरोपी ससुर बलिराम पवार को पांच साल के कारावास व 5 हजार रुपए दंड तथा दंड नहीं भरने पर तीन माह के सादेे कारावास व धारा 452 के तहत 2 साल की सख्त कारावास व 5 हजार रुपए दंड तथा दंड नहीं भरने पर एक माह के सादे कारावास की सजा सुनाई है.
इस्तेगासे के अनुसार मोर्शी तहसील के अंबाडा निवासी बलिराम पवार और शिकायतकर्ता वैशाली विजय पवार एक दूसरे के पडोस में रहते है. वैशाली पवार यह बलिराम की बहु है. वैशाली के पति का देहांत हो चुका है. जिसके बाद वैशाली अपने दो के साथ अकेली ही रह रही थी. घटना 17 अप्रैल 2017 की है. घटना के दिन शिकायतकर्ता महिला के दोनों छोटे बेटे घर में नहीं थे. तभी दोपहर के समय आरोपी बलिराम पवार ने शिकायतकर्ता महिला के घर के सामने आकर गालीगलोैज की. जिसके बाद वैशाली पवार ने बाहर आकर गालीगलौज करने से टोका. इसके बाद आरोपी शिकायतकर्ता महिला को गालीगलोैज करते हुए घर में घुसा और जेब से सुरी निकालकर महिला को जमीन पर गिराया और उसके गले पर सुरी से वार करने की कोशिश की. तभी सुरी के हमले को हाथ से रोकने पर उसके दाहिने हाथ पर गंभीर चोट लगी और महिला बुरी तरह घायल हो गई. महिला ने हल्ला मचाने ही आसपास के लोग वहां इकट्टा हो गये और उसे आरोपी के चंगुल से छुडा लिया. इसके बाद वैशाली पवार को मोर्शी उपजिला अस्पताल में भर्ती किया गया. यहां पर वैशाली पवार के बयान पर आरोपी बलिराम पवार के खिलाफ धारा 307, 452, 504 के तहत अपराध दर्ज किया गया. जांच करने के बाद दोषारोपपत्र न्यायालय में पेश किया गया. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से सहायक सरकारी वकील रणजीत भेटालु ने 8 गवाह के बयान लिये. इस मामले में कोई भी गवाह अपने बयान से नहीं पलटा. वहीं इस मामले में शिकायतकर्ता की गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई. इस मामले की प्राथमिक जांच पीएसआई एस.एस.कन्नाके ने की. व दोषारोपपत्र एपीआई सचिन चव्हाण ने दाखिल किया. इस मामले में आरोपी के खिलाफ धारा 307 के तहत अपराध साबित होने पर न्यायाधीश एस.एस.अडकर ने आरोपी को धारा 307 के तहत 5 साल कारावास व 5 हजार रुपए दंड व दंड नहीं भरने पर 3 महिने के साधे कारावास, धारा 452 के तहत 2 वर्ष के सख्त कारावास व 5 हजार रुपए दंड व दंड नहीं भरने पर एक महिने के साधे कारावास की सजा सुनाई. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से सहायक सरकारी वकील रणजीत भेटालु ने सफल युक्तिवाद किया. वहीं इस मामले में पैरवी अधिकारी के रुप में रिना शेलोरकर व एनपीसी अरुण हटवार ने सहयोग किया.