विद्यापीठ के सामान्य कोष में 50 लाख रुपए का घोटाला?
ओवरटाइम बकाया के लिए दबाव

* आर्थिक कठिन स्थिति में तिजोरी पर आएगा तनाव
अमरावती /दि.30– अमरावती विश्वविद्यालय प्रशासन पर अवकाश भत्ते के बकाया भुगतान के लिए दबाव है, जिसे सातवें वेतन आयोग के संबंध में राज्य सरकार द्वारा कुछ साल पहले बंद कर दिया गया था. इस कारण सामान्य कोष को लगभग 50 लाख रुपए का चुना लगेंगा. लूट होगी, और इस धन को लूटने की योजना ‘प्रशासन’ से सेवानिवृत्त एक ‘कुशल’ अधिकारी के उपजाऊ दिमाग से आई है. यह सर्वविदित है कि कुछ लोगों ने स्वार्थवश इसे मौन सहमति दे दी है.
अमरावती विश्वविद्यालय में कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अवकाश कार्य भत्ता योजना 12 वर्ष पहले शुरू की गई थी. यदि आप छुट्टी पर ड्यूटी आते हैं और 44 दिन काम करते हैं, तो आपको वर्ष के अंत में 22 दिन की छुट्टी और 22 दिन का वेतन ओवरटाइम के रूप में मिलता है. इसमें रजिस्ट्रार से लेकर परीक्षा नियंत्रक तक सभी अधिकारी और कर्मचारी जनवरी माह का इंतजार कर रहे हैं. वे पिछले वर्ष के एक महीने के वेतन के बराबर ओवरटाइम शुल्क लेते हैं. विश्वविद्यालय कोष से हर साल इस पर एक से डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं. वास्तव में, ओवरटाइम राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू नहीं होता है. सरकार का फार्मूला यही है. लेकिन ‘तुम चुप रहो, मैं चुप रहूंगा’ के आदर्श वाक्य के साथ विश्वविद्यालय में आज भी हर कोई इस योजना का लाभ उठाता है.
* कुलगुरु के निर्णय पर ध्यान केन्द्रित
भले ही सातवां वेतन आयोग लागू नहीं हुआ है, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी बकाया ओवरटाइम वसूलने के लिए एकजुट हो गए हैं. कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाटे इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं, यह देखना बाकी है.
* अभी पैसों का भुगतान नहीं हुआ
यह विषय 4-5 साल पहले का है. प्रक्रिया चल रही है और यह राशि अभी तक भुगतान नहीं की गई है.
– सीए पुष्कर देशपांडे,
वित्त व लेखा अधिकारी,
अमरावती विद्यापीठ.