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भोजन आपूर्ति ठेके में भी ‘50 खोके, सब ओके’ वाला मामला

सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मेश्राम ने निविदा प्रक्रिया रद्द करने की मांग उठाई

अमरावती/दि.8- सामाजिक न्याय विभाग अंतर्गत राज्य में पिछडावर्गीय विद्यार्थियों हेतु 441 सरकारी छात्रावास तथा अनुसूचित जाति व नवबौध्द छात्र-छात्राओें के लिए 100 सरकारी निवासी शालाएं कार्यरत है. जहां पर भोजन आपूर्ति करने का जिम्मा अब तक पिछडावर्गीय ठेकेदारों को दी जाती थी. लेकिन अब नई सरकार ने 50 करोड रूपयों का आर्थिक व्यवहार रहनेवाले ठेकेदारों को ही इस काम का जिम्मा देने का फैसला लिया है. जिससे कमजोर आर्थिक स्थितिवाले पिछडावर्गीय ठेकेदारों को इस काम का जिम्मा नहीं मिलेगा. यानी भोजन ठेके के काम में भी ‘50 खोके-सबकुछ ओके’ वाली स्थिति है. इस आशय का आरोप लगाते हुए भीमशक्ति संगठन के विदर्भ प्रदेश अध्यक्ष पंकज मेश्राम ने इस निविदा प्रक्रिया को रद्द करते हुए भोजन आपूर्ति के ठेके की निविदा प्रक्रिया को नये सिरे से चलाया जाये.
इस संदर्भ में यहां जारी प्रेस विज्ञप्ती में पंकज मेश्राम ने कहा कि, पहले जहां विभागीय स्तर निविदा मंगवाते हुए प्रादेशिक उपायुक्त की समिती द्वारा एक-एक ठेकेदार को चार छात्रावासों व शालाओं में भोजन आपूर्ति का काम दिया जाता था. वही अब पूरे राज्य के लिए एक ही ठेका जारी करते हुए सालाना 50 करोड रूपये के आर्थिक लेन-देन, तीन वर्ष के दौरान 15 जिलों में 100 स्थानों पर 10 करोड रूपये के भोजन आपूर्ति, 25 लाख रूपये की डिपॉझिट रकम तथा 750 पंजीकृत कामगार रहने जैसी शर्ते डाली गई है और सालाना 1200 करोड रूपये के हिसाब से तीन वर्ष की कालावधि के दौरान भोजन आपूर्ति करने हेतु 3600 करोड रूपये का ठेका कुछ विशिष्ट बडे ठेकेदारों को देने की व्यवस्था की गई है. जिसके चलते छोटे व मध्यम स्तर के पिछडावर्गीय ठेकेदार इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गये है. जिसके चलते राज्य के हजारों पिछडावर्गीय एवं अनुसूचित ठेकेदार व उनके कर्मचारियों पर बेरोजगारी का संकट मंडरा रहा है.
उपरोक्त आरोप के साथ ही पंकज मेश्राम ने चेतावनी दी कि, यदि इस अन्याय को तत्काल दूर नहीं किया गया और पुरानी निविदा प्रक्रिया को खारिज करते हुए नये सिरे से निविदा प्रक्रिया नहीं चलाई गई, तो भीमशक्ति संगठन द्वारा तीव्र आंदोलन किया जायेगा.

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