अमरावती

देश में 50 लाख कपास गांठ घटेंगी

3 लाख गांठ का आयात

* निर्यात नीति के कारण किसानों को क्षति
अमरावती/दि.10 – मौसम बदलने से इस वर्ष देश में कपास का उत्पादन 50 लाख गांठ से कम होने का खतरा कृषि अभ्यासकों व्दारा दर्शाया गया है. दूसरी तरफ 3 लाख गांठ का आयात किया गया है. इस कारण आगामी समय में कपास के दाम गिरने का खतरा दर्शाया जा रहा है.
विश्वस्तर पर सबसे बडे कपास उत्पादक देश के रुप में भारत की तरफ देखा जाता है. देश में कपास का उत्पादन भारी मात्रा में होता है. इससे हर वर्ष 50 से 60 लाख कपास गांठ का निर्यात किया जाता है, लेकिन कपास गांठ की निर्यात नीति ही न रहने से संपूर्ण कपास देश में ही पडा है. शक्कर का निर्यात करने के लिए केंद्र शासन की तरफ से अनुदान दिया जाता है. इसी तरह कपास गांठ के निर्यात के लिए अनुदान मिला तो ही कपास को खुले बाजार में अच्छे दाम मिलने की संभावना है. किसान अभ्यासक विजय जावंधिया ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. कपास गांठ के निर्यात के लिए शक्कर की तरह अनुदान देने की मांग उन्होंने की है. इसी तरह 3 लाख कपास गांठ का आयात किसानों के लिए चिंताजनक साबित होगा, ऐसा मत उन्होंने अपने पत्र में व्यक्त किया है. पिछले वर्ष कपास को 12 हजार रुपए क्विंटल के करीब दाम मिले थे. इस बार कपास का उत्पादन घटा है इस कारण इस वर्ष कपास को 10 हजार रुपए क्विंटल के दाम मिलेंगे ऐसी अपेक्षा है. लेकिन बाजार मे कपास के दाम 8500 रुपए क्विंटल तक नीचे आ गए है. इस दाम में 15 जनवरी तक सुधार होगा ऐसी किसानों को अपेक्षा है.

* आयात होने से दाम गिरने का खतरा
खुले बाजार में कपास के दाम गिरे है इसमें कपास गांठ का आयात हुआ है. इस कारण दाम गिरने का खतरा है. कपास गांठ को अच्छे दाम मिले और निर्यात को अनुदान मिलने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.
– विजय जावंधिया, कृषि अभ्यासक

* सरकी के दाम बढे
पिछले सप्ताह में सरकी के दाम 3600 रुपए क्विंटल तक नीचे आ गए थे. इसमें सुधार हुआ है.अब सरकी के दाम 4200 रुपए क्विंटल तक पहुंच गए है. इस कारण कपास के दाम में सुधार हुआ है. रुई के दाम में चाहिए वैसे सुधार नहीं हुआ है. पिछले वर्ष ढाई क्विंटल की रुई की एक गांठ 1 लाख रुपए की थी. वह अब 62 हजार रुपए तक पहुंच गई है.

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