अमरावती

खरीफ का ५० फीसदी क्षेत्र बर्बाद, अब रबी पर टिकी उम्मीदें

बुआई का सीझन हुआ शुरू, किसानों ने गिला अकाल घोषित करने की मांग उठायी

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२६ – इस बार खरीफ के मौसम में अगस्त माह के दौरान हुई बारिश ने ३ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ३३ प्रतिशत से अधिक नुकसान किया और साधारणत: ५० प्रतिशत फसलें इस वजह से प्रभावित हुई. जिसके लिए जिला प्रशासन ने सरकार से १९० करोड २ लाख ५३ हजार रूपयों की मांग की है. इस समय भी बारिश की वजह से नुकसान होना जारी ही है. ऐसे में पूरा खरीफ सीझन बर्बाद होने का खतरा उत्पन्न हो गया है और अब किसानों की पूरी उम्मीदें रबी फसलों पर टिकी हुई है. बता दें कि, इस बार खरीफ सीझन में करीब साढे ६ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई, लेकिन जून माह के दौरान बारिश ने धोखा दे दिया. इसके बाद सोयाबीन बीज उत्पादक कंपनियों द्वारा किसानों को उपज क्षमता नहीं रहनेवाले बीज बेचे जाने का मामला सामने आया और करीब ४० हजार हेक्टेयर क्षेत्र में दुबारा बुआई करनी पडी. इन दोनों संकटों से अभी किसान जैसे-तैसे संभल ही रहे थे कि अगस्त माह से बारिश की झडी शुरू हुई, जो अब तक चल रहीं है. जिसकी वजह से ६० दिनों की कालावधिवाली मूंग व उडद तथा १०० से ११० दिनों की कालावधिवाली सोयाबीन की फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. साथ ही बदरीले मौसम, अपर्याप्त सूर्यप्रकाश, जमीन में बढी हुई नमी के चलते कई तरह के कीटों और रोगों की वजह से भी सोयाबीन व कपास की फसलों पर असर पडा और किसानों के मुंह तक आया निवाला खराब हो गया है. ऐसे में अब किसान काफी हद तक रबी फसलों से उम्मीद लगाये बैठे है.

  • बारिश खरीफ के लिए बाधक, रबी के लिए पोषक

जिले में मेलघाट को छोडकर अन्य सभी तहसीलों में बारिश औसत से अधिक रही. वहीं इस समय वापसी की बारिश भी जमकर हो रही है, जो बारिश के लिए तो बाधक है, लेकिन रबी फसलों के लिए पोषक साबित होगी. जिले के अधिकांश हिस्सों में हरभरे की फसल ली जाती है और इस बार करीब सवा लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हरभरे की बुआई की जायेगी. मूंग, उडद व सोयाबीन का बुआई क्षेत्र अब खाली हो गया है. जहां पर अब रबी फसलों के लिए मेहनत के काम किये जा रहे है.

  • खरीफ के नुकसान का हुआ सर्वे

जिला प्रशासन के आदेशानुसार खरीफ फसलों के नुकसान का संयुक्त सर्वे किया गया है. जिसमें जून से अगस्त माह की कालावधि के दौरान ३ लाख २ हजार ६० किसानों के २ लाख ७७ हजार १७० हेक्टेयर क्षेत्र में ३३ प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है. इसके लिए एनडीआरएफ के मानकों के अनुसार १८८ करोड ४७ लाख ५८ हजार तथा सितंबर व अक्तूबर माह में २२ हजार ७२५ हेक्टेयर क्षेत्र में नुकसान हुआ है. जिसके लिए १६ करोड ३९ लाख ८६ हजार रूपयों की मांग जिला प्रशासन द्वारा सरकार से की गई है.

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