अमरावती

50 पैसे की माचिस हुई 2 रूपये की

महंगाई में वाकई लग गई आग

  • 14 वर्ष बाद माचिस की दरें बढी

  • कच्चे माल की कीमतें बढने का असर

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७ – ईंधन दरवृध्दि से शुरू हुई महंगाई ने अब धीरे-धीरे अन्य वस्तुओं को भी अपने दायर में लेना शुरू कर दिया है. अब मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल 50 पैसे की कीमत पर मिलनेवाली माचिस की डिब्बी 1 दिसंबर से 2 रूपये में मिला करेगी. यानी अब माचिस से चूल्हा जलाना भी चार गुना अधिक महंगा हो जायेगा.
बता दें कि, ग्रामीण क्षेत्र में आज भी परंपरागत चूल्हे पर ही भोजन पकाया जाता है और चूल्हा जलाने के लिए माचिस का प्रयोग किया जाता है. साथ ही साथ लगभग अधिकांश घरों में दिया और अगरबत्ती जलाने के लिए भी माचिस का ही प्रयोग होता है. लेकिन अब इसके लिए भी चारगुना अधिक खर्च करना पडेगा.
माचिस का व्यवसाय करनेवाले व्यापारियों के संगठन ऑल इंडिया चेंबर ऑफ मैचेस (शिवाकाशी) द्वारा करीब 14 वर्ष पश्चात मासिक की कीमतों को बढाने का निर्णय लिया गया है. बढते खर्च और महंगाई का हवाला देते हुए मैच बॉक्स उद्योग ने आगामी 1 दिसंबर से इस दरवृध्दि पर अमल करने की घोषणा की है. इसके तहत पहले तय किया गया था कि, माचिस की डिब्बी की कीमत डेढ रूपये रखी जायेगी, किंतु ग्राहकों को 50 पैसे फूटकर वापिस लौटाने की दिक्कत को देखते हुए इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए माचिस की कीमतों को दो रूपये करने का निर्णय लिया गया. जिसके लिये अब माचिस के डिब्बी में 36 से 40 तिलियों की बजाय पूरी 50 तिलियां रहेगी. ऐसा माचिस निर्माताओं द्वारा तय किया गया है.

  • तमिलनाडू है प्रमुख उत्पादक

तमिलनाडू राज्य के कोविलपट्टी, सत्तूर, शिवकाशी, एक्तायापूरम, काझूगुमलाई, शंकरनकोईल, गुडियाट्टम व कावेरीपक्कम में बडे पैमाने पर माचिस उत्पादन का काम किया जाता है. यहां पर करीब 5 लाख लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से माचिस उद्योग के साथ जुडे हुए है. जिसमें से 90 फीसद कामगार महिलाएं है और माचिस उद्योग ही इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख व्यापार है. जिससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था चलती है.

  • वर्ष 2007 में बढी थी माचिस की कीमतें

दैनिक जीवन में प्रयुक्त होनेवाली माचिस ही एकमात्र ऐसी वस्तु है कि, जिसकी कीमतों में विगत 14 वर्ष के दौरान कोई वृध्दि नहीं हुई थी. इससे पहले वर्ष 1995 में माचिस की कीमत 25 पैसे से बढाकर 50 पैसे की गई थी और फिर वर्ष 2005 में 50 पैसे से बढाकर 1 रूपया की गई थी. साथ ही अब आगामी 1 दिसंबर से माचिस की डिब्बी 2 रूपये में मिला करेगी.

  • क्यों बढ रही कीमतें

माचिस उत्पादकों के मुताबिक माचिस की तिली व डिब्बी बनाने के काम में प्रयुक्त होनेवाली 17 वस्तुओं की कीमतों में वृध्दि हुई है. पहले लाल फॉस्फरस 425 रूपये प्रति किलो की दर पर मिलता था. जिसकी कीमत अब 810 रूपये प्रति किलो हो गई है. इसी तरह मोम की कीमत 58 रूपये से बढकर 80 रूपये, बॉक्स बोर्ड की कीमत 36 रूपये से बढकर 55 रूपये तथा इनर बॉक्स की कीमत 32 रूपये से बढकर 58 रूपये पर जा पहुंची है. इसके अलावा कागज, स्पिलंटस पोटेशियम क्लोरेड व सल्फर की लगातार बढती कीमतोें के चलते माचिस की कीमतें बढाई जा रही है.

Related Articles

Back to top button