अमरावती

29 करोड के महाटेंडर में 50 फीसद ‘मार्जीन’

आधे-आधे की होगी ‘बंदरबाट

इच्छुकों के ‘गॉडफादर’ के यहां चक्कर शुरू
अमरावती-/दि.1 मनपा में अगले तीन साल तक ठेका नियुक्त कर्मचारियोें की आपूर्ति करने का काम खुद को ही मिले, इस हेतु ठेका प्राप्त करने के इच्छुकों द्वारा जमकर लॉबींग व फिल्डींग की जा रही है और अपने राजनीतिक ‘गॉडफादर’ के यहां चक्कर पर चक्कर काटे जा रहे है. ऐसे में हर कोई यह जानने के उत्सुक है कि, आखिर यह ठेका हासिल करने में संबंधितों का इतना ‘इंट्रेस्ट’ क्यों है, इसकी जानकारी अब स्पष्ट रूप से सामने आयी है. इसके तहत पता चला है कि, 29 करोड के इस ठेके में ‘प्रॉफीट मार्जीन’ करीब 50 फीसद यानी 15 करोड के आसपास है. इसमें भी आधी-आधी बंदरबांट होगी. जिसके चलते इस ठेके को हर हाल में हासिल करने और ‘अपने हितों’ का खयाल रखनेवाले ठेकेदार को ही यह ठेका दिलाने के लिए जमकर प्रयास हो रहा है.
बता देें कि, मनपा के विविध विभागों में 351 ठेका नियुक्त कर्मचारियों की आपूर्ति करने की ऐवज में आउटसोर्सिंग एजेन्सी को 29 करोड रूपये दिये जायेंगे. जिसके जरिये ठेका नियुक्त कर्मचारियों का वेतन अदा किया जायेगा. हालांकि महानगरपालिका द्वारा सभी पदों के लिए न्यूनतम वेतन की राशि पहले ही तय कर दी जाती है और आउटसोर्सिंग का ठेका प्राप्त करनेवाली एजेन्सी द्वारा ठेका नियुक्त कर्मचारियों को वही वेतन अदा किया जाना अपेक्षित होता है. किंतु अब तक के अनुभवों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, आउटसोर्सिंग एजेन्सी द्वारा तय वेतन की तुलना में ठेका नियुक्त कर्मचारियोें को बेहद अत्यल्प वेतन अदा किया जाता है. और एक तरह से उनका आर्थिक शोषण होता है. ठेका नियुक्त कर्मचारियों को हकीकत में आधा वेतन ही दिया जाता है. साथ ही उन्हें पीएफ सहित अन्य कोई आर्थिके लाभ भी नहीं दिया जाता. बल्कि इसकी आड लेते हुए काफी बडी रकम फायदे के तौर पर हडप कर ली जाती है. यही वजह है कि, 29 करोड रूपयों के ‘महाटेंडर’ को हासिल कर अधिक से अधिक फायदा कमाने और मार्जीन की रकम को आपस में बांटने के साथ ही तीन वर्ष के दौरान महानगरपालिका को चुना लगाने और ठेका नियुक्त कर्मचारियों का शोषण करने के जरिये करोडों रूपये कमाने के मनसुबे अभी से तैयार किये जा रहे है.
बता दें कि, मनपा में आउटसोर्सिंग एजेन्सी का ठेका हासिल करने हेतु कुल 93 निविदा प्राप्त हुई है और इस निविदा प्रक्रिया में गडबडी होने की शिकायत मिलने के चलते आर्थिक अपराध शाखा ने इसकी जांच करनी शुरू कर दी है.

रोजगार गारंटी बना ‘महाटेेंडर’
कहना अतिशयोक्ती नहीं होगा कि, 29 करोड रूपयों का यह महाटेेंडर ठेका हासिल करनेवाले ठेकेदार सहित उसके ‘खासमखास’ लोगों के लिए ‘रोजगार गारंटी’ योजना की तरह है. क्योंकि इसमें 50 फीसद की सीधी मार्जिन है. जिसमें से रकम की सम-समान बंदरबांट होती है. इस ठेके के तहत 29 करोड रूपये मनपा से प्राप्त होते है. जिसमें से 15 से 17 करोड रूपये कर्मचारियों की पगार पर खर्च करने के बाद बची हुई रकम ठेकेदार की जेब में चली जाती है. इसके साथ ही पीएफ की रकम मनपा से भी ली जाती है और ठेका नियुक्त कर्मचारी के वेतन से भी काटी जाती है, लेकिन इसे पीएफ कार्यालय में भरा ही नहीं जाता, यह अलग से फायदा है. यही वजह है कि, इस महाटेंडर को हासिल करने के लिए अच्छी-खासी उछलकूद चल रही है, ताकि इस ठेके के जरिये मिलनेवाले फायदे की आपस में ‘बंदरबांट’ की जा सके.

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