अमरावती

50 फीसद पीएम जन औषधी केंद्र हो गये बंद

सस्ती दरों पर दवाईयां मिलना हुआ मुश्किल

जेनेरिक दवाईयों को प्रोत्साहित करने की रफ्तार हुई सुस्त
अमरावती – /दि.6 मौजूदा दौर में जिंदगी काफी आपाधापी व दौडभाग भरी हो गई है. जिसकी वजह से शरीर में कई तरह की बीमारियां भर करने लगी है. जिनके इलाज पर काफी अधिक पैसा खर्च होता है. क्योंकि इन दिनों दवाईयां काफी महंगी हो गई है. किंतु जेनेरिक मेडिकल स्टोअर पर दवाईयां 30 से 70 फीसद सस्ती मिलती है. जिसके लिए प्रधानमंत्री जन औषधी योजना शुरु की गई थी. जिसके तहत देश में जगह-जगह पर जेनेरिक दवा विक्री केंद्र खोले गये. इस योजना के तहत अमरावती जिले में भी 8 जेनेरिक औषधी केंद्र खोले गये थे. परंतु इस समय इसमें से केवल 4 केंद्र ही काम कर रहे है और शेष 50 फीसद यानि 4 केंद्र बंद हो गये है. ऐसी जानकारी अन्न व औषधि प्रशासन द्बारा दी गई है.
बता दें कि, इन दिनों चिकित्सा सेवाएं और दवाईयां काफी अधिक महंगे हो गये है. जिसके चलते सर्वसामान्य व्यक्ति के लिए निजी अस्पताल मेें अपना इलाज करवाना काफी मुश्किल हो गया है. निजी अस्पतालों में इलाज का होने वाले महंगे खर्च के अलावा दवाईयों पर भी काफी पैसा खर्च करना पडता है. ऐसे में सर्वसामान्य लोगों की दिक्कतों को कम करने हेतु पूरे देश में जेनेरिक दवाईयों की विक्री को प्रोत्साहित करना शुरु किया गया और जनऔषधी योजना चलाते हुए जेनेरिक औषधी केंद्र शुरु किये गये. जहां पर ब्रान्डेड कंपनियों की तुलना में दवाईयां अपेक्षाकृत बेहद कम दामों पर मिलती है. परंतु कई दवाईयां इन केंद्रों पर भी उपलब्ध नहीं रहती. ऐसे मेें लोगों को ब्रान्डेड कंपनियों की दवाईयां ही खेरीदनी पडती है. साथ ही अब जिले में केवल 4 जनऔषधी केंद्र ही काम कर रहे है. तथा शेष 4 केंद्र बंद हो गये है. जिसकी वजह से नागरिकों को पहले की तरह आम मेडिकल स्टोअर में जाकर ब्रान्डेड कंपनियां की महंगी दवाईयां खरीदनी पड रही है.

30 से 70 फीसद सस्ती होती है जेनेरिक दवाईयां सामान्य दवाईयों की तुलना में जेनेरिक दवाओं के दाम 30 से 70 फीसद कम होते है. जेनेरिक औषधी केंद्र पर बीपी व शुगर से संबंधित दवाओं की मांग काफी अधिक होती है. लेकिन अकसर ही जनऔषधी केंद्रों पर इन दवाओं की किल्लत रहती है और इन केंद्रों पर दवा नहीं मिलने के चलते लोगों को मजबूरी में पहले की तरह आम मेडिकल स्टोअर पर जाकर महंगी दवाईयां खरीदनी पडती है. वहीं इन दिनों जन औषधी केंद्रों की संख्या भी घट गई है. जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्बारा चलाई जाने वाली भारतीय जनऔषधी परियोजना अनले मूल उद्देशों से भटक गई है.

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