अमरावतीमहाराष्ट्र

50 हजार यूनिट रक्त के व्यर्थ जाने की संभावना

नियोजन के अभाव की वजह से उपजी स्थिति

* रक्त संक्रमण परिषद के सामने खडी हुई चुनौती
मुंबई /दि. 13– स्कूल व कॉलेज में होनेवाली परिक्षाएं और इसके बाद शुरु होनेवाली गर्मी की छुट्टियों के चलते प्रति वर्ष मार्च माह के बाद राज्य में रक्त की किल्लत पैदा हो जाती है. वहीं मुंबई में कुछ संस्थाओं द्वारा हाल ही में आयोजित रक्तदान शिविरों में लाखों यूनिट रक्त संकलित हुआ. रोजाना 5 हजार यूनिट की जरुरत तथा संकलित रक्त का 35 दिनों का जीवनमान रहने के चलते फरवरी माह के अंत तक 20 से 25 फीसद यानी करीब 50 हजार यूनिट रक्त के व्यर्थ चले जाने की संभावना पैदा हो गई है.
रक्तदान की वजह से गंभीर स्थिति में रहनेवाले किसी भी मरीज की जान बचाने में सहायता मिलती है. जिसके चलते रक्तदान को श्रेष्ठदान कहा जाता है. यही वजह है कि, राजनीतिक नेताओं के जन्मदिवस सहित अन्य कई कार्यक्रमों के औचित्य को साधते हुए बडे पैमाने पर रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है. इसी के तहत एक धार्मिक संस्था ने 6 से 19 जनवरी के दौरान मुंबई में रक्तदान शिविर का आयोजन करते हुए करीब 1 लाख 39 हजार यूनिट रक्त संकलित किया है. इसके साथ ही दवा विक्रेताओं के संगठन ने 25 जनवरी को रक्तदान शिविर आयोजित कर 80 हजार यूनिट रक्त संकलित किया. साथ ही साथ अन्य कुछ छोटे मंडलों ने रक्तदान शिविरों का आयोजन कर करीब 2 लाख 25 हजार यूनिट से अधिक रक्त संकलन किया. संकलित किए गए रक्त को सरकारी व निजी ब्लड बैंकों के लिए उपलब्ध कराया गया. परंतु नियोजन के अभाव में शिविरों व आयोजन कर जरुरत नहीं रहने के बावजूद जनवरी माह में बडे पैमाने पर संकलित किए गए रक्त का तय समय के भीतर योग्य तरीके से प्रयोग नहीं होने के चलते अब इस स्टॉक को संभालकर रखने की चुनौती राज्य रक्त संक्रमण परिषद के सामने है.

* रक्तदाताओं के अभाव में किल्लत
– एक बार रक्तदान के बाद अगले तीन माह तक संबंधित रक्तदाता द्वारा रक्तदान नहीं किया जा सकता और रक्तदान करनेवाले कुछ निश्चित लोग ही होते है. ऐसे में जनवरी माह के दौरान बडे पैमाने पर रक्तदान होने के चलते अब इन रक्तदाताओं द्वारा अप्रैल माह के अंत तक रक्तदान नहीं किया जा सकेगा.
– इसके साथ ही गर्मी के मौसम दौरान कई रक्तदाता अपने परिवार सहित बाहर घुमने-फिरने हेतु जाते है. जिसके चलते इस बार भी अप्रैल माह में पैदा होनेवाली रक्त किल्लत के समय रक्तदाताओं के उपलब्ध होने की संभावना कम है. इसके परिणामस्वरुप रक्त की किल्लत कुछ अधिक रहने की संभावना रक्त संकलन परिषद के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जताई गई है.

* रक्त का आयुर्मान 35 दिनों का
रक्तदान शिविरों में संकलित किए जानेवाले रक्त पर प्रक्रिया करते हुए उसका संग्रहण किया जाता है. संकलित किए गए रक्त और उस पर प्रक्रिया कर अलग की गई लाल पेशियों का आयुर्मान केवल 35 दिनों का होता है. जिसके बाद यह रक्त प्रयोग में लाने हेतु अयोग्य हो जाता है. ऐसे में रक्त का प्रयोग समय पर होना आवश्यक होता है.

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