आईआईटी कानपुर की 500 पेज की रिपोर्ट

खाई से उपर 500 मीटर का टॉवर संबंधी सुझाव

* इको सेंसेटीव झोन है क्षेत्र
* चिखलदरा का निर्माणाधीन स्कायवॉक
चिखलदरा /दि.30- यहां निर्माणाधीन देश के पहले 500 मीटर लंबे स्कायवॉक को लेकर जहां पर्यटकों में जबरदस्त कौतुहल देखा जा रहा है, वहीं इसके निर्माण के लिए आईआईटी कानपुर की टीम द्वारा 500 पेज की रिपोर्ट सौेंपे जाने की जानकारी अमरावती मंडल को मिली है. इस अहवाल में इको सेंसेटीव क्षेत्र का सूक्ष्म निरीक्षण कर 500 मीटर उंचा टॉवर कैसे खडा करना, इस बारे में सुझाव दिए गए हैं. उल्लेखनीय है कि, कांच का अनूठा स्कायवॉक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ड्रीम प्रोजेक्ट है. गत पांच वर्षों से निर्माण चल रहा है. ऐसे में केबल लटकाने के काम अब तक हुए हैं.
बता दें कि, आरंभ में स्कायवॉक की लागत 32-35 करोड आंकी गई थी तथा इंदौर की निर्माण कंपनी को इसका जिम्मा दिया गया था. स्कायवॉक के काम में पहले जहां वन विभाग की एनओसी का अडंगा था, वहीं अब तकनीकी दिक्कते आने की जानकारी सूत्रों और मौके का प्रत्यक्ष अवलोकन करने पश्चात मिलती है.
स्कायवॉक को अभी भी अनेक परीक्षाएं पास करनी है. वह कब ऑपरेटिव होगा, पर्यटक उसका कब लुत्फ ले सकेंगे, यह किसी को नहीं पता. जैसे-तैसे अभी काम पटरी पर आया ही था कि, कानपुर आईआईटी ने स्कायवॉक के बारे में अपनी रिपोर्ट सिडको को भेजी है. सूत्रों ने दावा किया कि, सिडको को रिपोर्ट समझने में ही महिनाभर लग जाएगा. तब तक बारिश का सीजन शुरु होने से और चिखलदरा में बारिश का प्रमाण अधिक रहने से काम में बाधा आ सकती है.
बहरहाल स्कायवॉक सुरक्षा की दृष्टि से बीच में टॉवर खडा करने पर ही संभव होने की जानकारी सूत्रों दी और बताया कि, खाई से उपर स्कायवॉक की उंचाई तक लगभग 500 मीटर का यह टॉवर बनाना पडेगा. जिसके लिए काफी तकनीकी सहायता निर्माण में लगेगी. निष्णांत इंजीनियर्स की देखरेख में यह जोखिमपूर्ण कार्य संभव होने की बात सूत्रों ने अमरावती मंडल को बताई. इको सेंसेटीव झोन होने से जमीन से टॉवर खडा करने के लिए कदाचित परमिशन लेनी पड सकती है.
चिखलदरा के व्यापारियों को स्कायवॉक के बनकर तैयार होने का बडी बेताबी से इंतजार है. सूत्रों ने दावा किया कि, सिडको एक-एक परमिशन प्राप्त करता है और उसी समय नई समस्या सामने मुंह फाडे आ जाती है. जिससे अमरावती का यह मॉन्यूमेंट बनने में शायद कुछ और महीनों का वक्त लगने की आशंका सूत्रों ने अमरावती मंडल से बातचीत में व्यक्त की.
* जरुरी होगा सीएम का दखल
स्कायवॉक निर्माण की कछुआ चाल से जानकारों ने कहा कि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ही इसमें हस्तक्षेप करना पडेगा. उसके बगैर यह प्रकल्प पूरा होता नहीं दिखता. स्थानीय पदाधिकारी, जिले के जनप्रतिनिधियों को चिखलदरा के हित में यह मामला सीएम के सामने रखने की गुंजाइश अधिकांश लोग व जानकार देख रहे हैं. पुलिस वायरलेस सेंटर, पार्किंग जैसे मुद्दों पर भी उनका दखल जरुरी बताया जा रहा है.

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