* राज्य शासन उदासीन
अमरावती/ २४ मार्च- संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय अंतर्गत ४५० महाविद्यालयों में ४९८ पद रिक्त पडे हैं. इन पदो में प्राचार्य, अध्यापक और शिक्षकेतर कर्मचारीयों ंंको समावेश है. यह पद मंजूर करने सरकार से पहल की आवश्यकता बताई जा रही है. सर्वाधिक २७४ पद प्राचार्य के खाली है. जिससे विषय की गंभीरता देखी जा सकती है. अनेक कॉलेजेस में प्रभारी प्राचार्य रहने सें कई प्रकार के काम प्रलंबित रहते है.
जिलानिहाय देखे तो अमरावती में ही ७०, यवतमाल में ६५, बुलढाणा में ६४, अकोला में ४३ और वाशिम में ३२ पद कॉलेजेस में रिक्त पदो की दिक्कत है. उसी प्रकार विद्यापीठ आस्थापना के भी अनेक पद खाली पडे है. यह भी कहा जा रही है कि दिनों दिन रिक्त पदों की संख्या बढ रही है.
प्रभारी, ठेका पर जोर
प्राचार्य, शिक्षक और अन्य पद रिक्त होने से प्रभारी और ठेका पध्दती अपनाई गईं है. जिसमें मूल्यमापन व परीक्षा का महत्वपूर्ण कार्य भी ठेका पध्दती से कराना पड रहा है. जब कि यह कार्य गोपनीय माना जाता है. उसमें ठेका पध्दती रहने से सवाल उपस्थित होते रहते हैं.
२० वर्षो से सेवा
कई कर्मचारी गत दो दशको से विद्यापीठ में सेवा दे रहे हैं. फिर भी उन्हे स्थायी नही किया गया है. ठेका कर्मचारीयों को विद्यापीठ में स्थायी करने और योग्य मानधन व सुविधा देेने की मांग जोर पकड रही है. पिछले माह विद्यापीठ कर्मचारीयों ने कामबंद आंदोलन कर प्रशासन को दिक्कत में लाने का प्रयास किया था. कुछ ठेका कर्मचारीयों के मामले हायकोर्ट में चल रहे हैं.
राजकीय उदासीनता
, विद्यापीठ के रिक्त पदो के लिए शैक्षणिक और राजकीय उपेक्षा जिम्मेदार रहने का दावा जानकार करते है. उनका कहना है कि प्रभावी ढंग से शासन के सामने मांग नहीं रखी जा रही. उसी प्रकार राजकीय फालोअप भी नहीं लिया जा रहा. जिससे अनेक वर्षो से रिक्त पद चले आ रहे है. विद्यार्थीयों का पढाई का नुकसान होता है.